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Showing posts from 2010

भड़ास blog: आखिर कब तक सहूंगी......

आखिर कब तक सहूंगी.......  http://bhadas.blogspot.com   पर   की इस कड़ी को पढे........

तू बता दे मुझे जिन्दगी.....

तू बता दे मुझे जिन्दगी कौन सा है मोड़ , जहां मुलाकात तो होगी एक तू है एक मै हूं दोनो की कशमकश की कभी तो हार होगी तू बता मुझे जिन्दगी इस बियाबां में किसकी दरकार करती है यहां आवाज  क्या सुनायी जाती है यहां अंधेरे रोशनी को हर पल तरसा करते है तू बता दे मुझे जिन्दगी इस रात की कभी तो कभी सुबह होगी तेरा दामन पकडा है अब अन्जामें वफा क्या होगी तू बता दे मुझे जिन्दगी किस गुनाह की सजा क्या तूने तय की है न जाने कब क्या हो हर पल खौफ के साये में पलती है जिन्दगी तू बता दे मुझे जिन्दगी आसमां में क्या तलाशती है यहां चाहत की इबारत पत्थरों से लिखी जाती है जो कर यह गुनाह उस क्यों मौत की आरजू न होगी.................

कोई तो है.................।

कोई  तो है जो कहे  चलो चार कदम मेरे साथ इस दुनिया में वरना  कहां अपनों को तलाश करे कैसे कहे जख्म कितने खाये है अजनबियों से कहो  उन पर भरोसा कैसे करे हर कदम सोचे तो उठाये जिन्दगी को कह दो न इतराये कभी -कभी जिन्दगी भी साथ छोड देती है कौन है फिर अपना वो साया  कही खुद की परछाइयाँ तो नही  सच किसे मान लूं मै या मेरी परछाई कौन चलता है साथ-साथ तू ही तो एक अपनी है जो अन्त तक साथ निभायेगी  वरना तो सबकुछ धुआं हो जायेगा न तुम होगे न कोई गम सताने वाला वो जो तन्हाई का सहारा है वही तो बस एक अपना है जग झूठा ,जीवन, जीने मरने का फेरा है मान लो मेरी बात सच कुछ नही  बस एक सच है, जो आज है, वो कल न होगा...........। 
दोस्त क्या है मेरे दोस्त दोस्ती का फलसफा क्या है लडते है, झगडते है फिर एक दूसरे के लिए मरते है कौन सच्चा है कौन झूठा है  आजमाने में उम्र गुजारते है......... दोस्त क्या है मेरे दोस्त  दोस्ती के मायने क्या होते है दोस्त बन निकालते है लोग  दुश्मनी, नफरतों को दोस्ती की  आड देते है फिर मतलब एक दूसरे से साधते है सच्चा दोस्त कौन है कैसे जाने कैसे पहचाने ? दोस्त क्या है मेरे दोस्त  दोस्ती का रिश्ता क्या है   जो न जाने दोस्ती का उसूल  दोस्तो, दोस्ती के पैमाने भी तय कर लो......... दोस्ती में धोखा न दो ,नफरत न दो  एक बार करो दोस्ती तो अन्त तक निभाओ  है रिश्ता यह पवित्र ,पर इन्सान इन्सान का दोस्त ......................................................................? यह कौन से जमाने की बात करते हो दोस्तो दोस्ती में कोई उम्र की सीमा न हो  कोई  आदमी औरत का भेद न हो अमीर गरीब की दीवार न हो  घमंड का नाम न हो, इन्सान जो हो पहले सच्चा  वही सच्चा दोस्त भी है........... दोस्त क्या है मेरे दोस्त दोस्ती का अन्जाम क्या है कौन जाने इतना सब पर दोस्ती के दौर का जमाना है दोस्तो इसल

जिन्दगी बस इतना बता दे.......

जिन्दगी बस इतना बता दे कौन सी हुई खता हमसे  दे भले ही गम के दौर पर सताने से पहले यह तो बता वह कौन सा है पल जहां खुशी करती है बसेरा जिन्दगी तूझसे नही है कोई शिकायत आरजू है इतनी सी क्या है वो कमी जो रह गयी है आज भी खुद से तन्हा बस जरा खफा ,खफा है...... बहुत कुछ समझने के फेर में कुछ भी न समझे। जिन्दगी बस इतना बता दे कौन है वह जो आस पास अन्धेरों को रोशनी में तब्दील करने का दम रखता है दामन जो उलझा हजार कांटो में अब गुलशन की उम्मीद क्यो करे ....... साथ है बस एक साया जुदा जुदा क्यो लगता है जिन्दगी बस इतना बता दे बहारों का क्या कही कुछ पता है कह दूं बहारो को यहां पर भी आये जो कहते है यह चमन है वह आग का दरिया लगता है जलते है पांव मेरे, कैसे अंगारे बिखरे है जिन्दगी बस इतना बता दे मेरे सवालो का जवाब कही  होगा................। 

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................

जिन्दगी छीन जीने को कहते हो तुम......।

जिन्दगी छीन, जीने को कहते हो तुम दोस्ती का नाम दे दुश्मनी निभाते हो हो तुम... क्या गम है क्यो उदास हो........ ताउम्र का गम दे हाल जानना चाहते हो  तडप पर तडप दे, खुशी का वादा करते हो मुझसे छीन कर हर खुशी मेरी कैसी वफा की रीत निभा रहे हो ........ जिसे प्यार कहते हो वह एक ढोग है इस ढोंग का कब तलक निभा सकोगे तुम। जिन्दगी छीन,जीने को कहते हो तुम आरजुओ के दरवाजे बार-बार नही खुलते अहसासों के समन्दर बार.बार नही उठते ........।      जो कहता है मै अपना हूं अपना होकर भी मुझसे अन्जाना क्यों है क्या उम्मीद पत्थर  और पागलों से जो चाहे , जहां ठोकर खाते है........।  जिन्दगी छीन ,जीने को कहते हो तुम दोस्ती के नाम पर दुश्मनी निभाते हो तुम......। 

इंसान और इंसान की फितरत ?

इंसान और इंसान की फितरत  कितने अजीब है दोनो ही ? बहुतेरे रंग भर लगता गिरगट सा स्वाग रचता ढोंग की दूनिया बसाता इंसान और इंसान की फितरत  कितने अजीब है दोनो ही ? पलभर में बना लेता गैरों को अपना भुला देता खुन के रिश्तों को लहु पानी बन बहता रगों में उजाड देता उसका ही चमन  जिसने दिया उसको जनम इंसान और इंसान की फितरत  कितने अजीब है दोनो ही ?  अपनी बेबाकी से वो  दिलों को जख्मी कर देता है जो भर न सके वो नासुर बना देता है रौंदा इसने प्रकृति को  अपना आशियाना बना डाला कीमत जान की है बहुत सस्ती गर गरीब हो इन्सा कोई वही उसे मार डालता है  . इंसान का इंसान अब रिश्ता खत्म जो हो चला है इंसान और इंसान की फितरत  कितने अजीब है दोनो ही ................. ....।

उस राह पर कैसे गुज़रे.................।

उम्मीदों से कहो दामन न छूटे........... जो दर खुला है खुदा का उस राह पर कैसे गुज़रे कितना सकूंन है तेरे दामन में के तू दिखता नही फिर भी मै तूझे महसूस करती हूं........... पवित्र कितनी तेरी जमीन है रूह को चैन बस तेरे पास ही मिलता है इबादत कैसे करू इस काबिल भी तो नही तूझ तक मेरी फरियाद पहुचे वजह भी तो नही........... उम्मीदों से कहो हार न माने जो सुनता है सबकी क्या वो यही कही है कैसे तूझे पा लूं अब आस को आस कब तक रहे जो दे मांगे जिन्दगी उसे मिलती नही तंग दिल बोझिल है जो वह ढोये चले जा रहे है................. जो दर खुला है खुदा का उस दर तक कैसे पंहुचे कितनी बार चाहा तू कैसे मिले पर सिर्फ उम्मीद और उम्मीद इसके सिवा कुछ नही .........................।

टूटे दिल मुश्किल से जी पाये........

मुश्किल बहुत होता है खुद को संभालना जब बिखरते है ख्वाब टुटता है मंजर मुश्किल बहुत होता है खुद को रोका पाना पूरी होती है हसरते तमाम वक्त कभी ठहरता क्यों नही? चलता रहता है बस सबसे अन्जान मुश्किल बहुत होता दिल का संभलना टूटता है जब खिलौने की तरह ख्वाहिशे जगती ही क्यो अरमानो का दम घुटना तो .....एक दिन तय ही है न फिर रो कर रूसवाईयां ...कैसे समझे वो जो समझ कर भी अन्जान रहे मुशकिल बहुत होता है सबसे रूठना जो रूठे उन्हे कैसे मनाये मुश्किल है जीवन डगर इससे पार कैसे पाये मुश्किल ही सही संभालो दोस्तो टूटे दिल बडी मुश्किल से जी पाये............।
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

अपनी खुशी को बचा कर रखना..........

तपती धुप झुलसते मन खोजे कही अपनापन नही कुछ पास बस वीरानियां क्यों होता इस तरह क्या प्रेम का यह एक दौर है........... क्या हासिल दूनिया से लडकर खालीपन........ हां बस तन्हाई प्यार है तो बंधन क्यों बंधनो में घुट जायेगे... क्यों मांगते उम्मीदों की भीख हाथ नही भरे तुम्हारे... किससे प्यार चाहतें हो पत्थर कहती दूनियां जिसकों सिर उसपर झुकाते क्यों है लोग रूसवा करते मोहब्बतों को जान कर भी प्यार दिखाते क्यों हो छीन लेते खुशियों को दोस्तों अपनी खुशी को सबसे बचा कर रखना..................।

दिल कितना नादान है.......।

दिल कितना नादान है करता कितनी खताये है कुछ माफी के काबिल तो कुछ न माफ़ी के काबिल इस दिल ने कितना रुलाया है देख तुझको करीब होता नही एतबार है तडपे कितना रात दिन इन्तजार नजरों का था........ वो सामने रहा हम अन्जान रहे दिल कितना परेशान है इतना उछलना कि बाद में रूयेगा। ऎ दिल अब सभंल जा गिर गया तो उठ न पायेगा दिल नदान है इसकी न सुन उसकी मासुमियत एक छलावा किस राह पर यू चलता है गिरना फिर संभलना एक फितरत है दिल तो बस नदान है......................... ....।

यह राहे बडी मुश्किल..........

कभी आस मां को रोते हुए देखा है प्यार का नाम दे रिश्तों को खत्म होते देखा है वो नही जानता दर्द से बोझिल राहे खो जाती है मंजिल तक जाने में......... रह जाते है सिलसिले मायुसियों के कभी बादल को गरजते देखा है वो मिटा देता है खुद को फिर क्या रह जायेगा धरती ताकती आसमां को आसमां कहां देखता है.............. प्यार में कत्ल भी हो जाते है रोक लो बहकते कदमों को हासिल कुछ न हो पायेगा जिसे कहते वफा वो पागलपन है.................... कुछ भी न कह करे करे जो बात वही तो बात होती है यह राहे बड़ी मुश्किल पर चलने की जरूरत होती है............................... ।
जख्म अब हंसते है न जाने मुझसे क्या चाहते है। हंसी है लबों पर फीकी सी   मायूसियो के दौर रहते है जिन्दगी को खेल समझा खिसकते पल हाहाकार  करते है, थोडा ठहर जा वक्त अभी सांस तो ले लूं न बुलाओ मुझे  चन्द लम्हे तो जी लूं क्या है फलसफा जब चाहो तो नही मिलता  न चाहो तो सब कुछ पास तुम्हारे नियति तेरे खेल न्यारे  तुने खुब ठगा है अब जख्म मुझ पर ही चिल्लाते .............है

जिन्दगी ने जिन्दगी को क्या दिया........।

जिन्दगी ने जिन्दगी को क्या दिया नफरत और गम इसके सिवा कुछ न दिया ? वक्त तूं कब तक मेरा इम्तहान लेगा तेरे सबब का कही तो अन्त होगा रूसवा करे मुझे जमाना के वफा करने वाले के हिस्से , सिर्फ यही एक सौगात आती है जिन्दगी ने जिन्दगी को क्या दिया उलझन और परेशानी ? इसके सिवा कुछ न दिया मोड दो वक्त की धारा को कह देना होता है आसान सितम पर सितम तमन्नाओ की ख्वाहिशों की कीमत क्या होती है जिन्दगी ने जिन्दगी को क्या दिया ताउम्र का दर्द इसके सिवा कुछ न दिया...................।
चटकते है शीशे तो आवाज़ आती है  दिल टुटे तो खनक भी नही दस्तूर कैसा है यह इश्क का जिसे जिन्दगी कहो वही मौत का समान है, अपना लिया हर अन्दाज जिन्दगी का जीने के लिए यह क्यो कर जरूरी था वो कहता है साया हूं, है तो जुदा क्यों है? साये से कहो , दूर रहे नजदीकी का विलाप नही जुस्तजू है बस यह काई रूठे तो मना लेना  कही ताउम्र फिर रोना न पडे पायलो की खनखन मिलती नसीबों से, किसी घुंघरू को टूटने न देना ।

तुम हो हम है फिर साथ चलता है फासला..........।

तुम हो हम है फिर भी साथ चलता है फ़ासला सवाल बस सवाल बीच में एक भंवर सा डूबते उतरते तूफानों से घिर जाते है फडकती आंखे ,डर अन्जाना सा क्यों कश्ती को साहिल की दरकार नही शुष्क होठ, शबनम का कतरा नही मन करता उड चलुं आसमानों तक कैसे आसमां तो बहुत दूर है दिल तक जो पहूचं वो आवाज कहां है। किसको तलाशता है तूं प्यार एक फसाना है खामोशी से राह नही मिलती  चीखने से पुकार नही बनती सवाल बस सवाल बीच में एक भंवर सा तुम हो हम है फिर भी साथ चलता है फ़ासला.....................। 

दिल क्या चाहता है............।

दिल क्या चाहता है,यह चाहत से अन्जान है.............। आती हई बर्फीली हवाओ से पूछो तूफान का कोई पैगाम है क्या एक मोड जो छोड आये हम उस मोड से गुजरने का क्या इरादा है हसीन वादियों तारों के  टूटने का इन्तजार न करो  मांगू एक मुराद ऎसी  कोई ख्वाहिश तो नही दिल क्या चाहता है,यह चाहत से अन्जान है..........। सरगोशियां सी कानो में उसको आवाज न दों अरमान मचल गये तो  बहुत कोहराम मचायेगें बहारों को गुजर जाने दो ख्वाबों के जहां में जाने दो। दिल क्या चाहता है, यह चाहत से अन्जान है..............।

किसका चेहरा देखू तेरे चेहरे के बाद............।

किसका चेहरा देखूं तेरे चेहरा देख कर सजदा तूझे है मेरी हर ख्वाहिश के लिए नूर है तू ,इस जहां में कोई तेरे मुकम्मल नही.............। तेरे दम से कयामत है तेरे दम से दूनिया है मेरा तेरा कुछ नही रह जाना बस नाम तेरा किसका ओज है तेरे ओज सा..............................। किसका चेहरा देखू तेरा चेहरा देख कर वो कौन खुशनसीब है जो तेरा दीदार करता है हम तो बस ख्वाबों की दरकार करते है..................। तेरे दम से कलम स्याह होती है वरना मेरी कलम तो खाख है मेरे खुदा तू कब मुझे अपना अक्स दिखायेगा.......................? किसका चेहरा देखु तेरा चेहरा देख कर इन्तजार तेरा सिर्फ तेरा है तू मेरी जुस्तजू है सिर्फ आखिरी ख़्वाहिश है..............................।                        ..........................