
लिफाफे में रखे खत का
कोई वजुद नही होता .........
अनकही कहानी
उधडते रिश्तों की जबान नही होती
दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है
दर्द की कोई हद नही
अब फीकी हंसी हंसते है लब
खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है
खेल जो समझे जिन्दगी को
उनको रोको जिन्दगी खेल नही
लहुलुहान करते है शब्द
शब्दों से चोट न करो
जो कुछ मौत के करीब है
वो कितना खुशनसीब है
कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है
जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही
गुलाब भी कांटों संग रहता है
नही करता कांटो से शिकायत कोई
सुखे किताबों में पडे फूलों
से क्या महक आती है
इतने संगदिल कैसे होते लोग
खुदा से डर न कोई खौफ होता है
लिफाफों में रखे खतो का
कोई वजुद नही होता.......
इस जहां में किसे अपना कहे
अपनों से परायों की बू आती है
तडपतें जिनके लिए
उनका कुछ पता नही होता
सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो
का कोई वजुद नही होता...........।
...........
"अपनों से परायों की बू आती है
ReplyDeleteतडपतें जिनके लिए
उनका कुछ पता नही होता
सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो
का कई वजुद नही होता..........."
यथार्थ को शब्द देने का सार्थक प्रयास
बहुत सुंदर और अच्छी रचना...
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDelete"यथार्थपरक कविता..."
ReplyDeleteकई वजुद नही होता..?
ReplyDeleteकोई वज़ूद नहीं होता..
--बढ़िया.
लिफाफे में रखे खत का
ReplyDeleteकोई वजुद नही होता ........
बात तो सही है।
इस जहां में किसे अपना कहे
अपनों से परायों की बू आती है
बेहद कड़वा सच।
लिफाफे में रखे खत का
ReplyDeleteकोई वजुद नही होता .........
अनकही कहानी
उधडते रिश्तों की जबान नही होती
सच कहा आपने।
फिर भी बहुत कुछ लिख डाला आपने
ReplyDeleteअभिव्यक्ति के माध्यम से अच्छे भाव!
ReplyDelete...प्रभावशाली रचना !!!
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