Skip to main content

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू
जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ
कहुं कैसे तू कितना अजीज है
सबका दुलारा प्यारा भाई है
याद आते वो दिन जब
पहली बार तू दूनिया मे आया
हम सबने गोद में उठा
तूझे प्यार से सहलाया
रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को
मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया
कैसे बचपन भूल गया
आज  बडा हो गया कि
बहनों का प्यार तौल गया
सौदा करता बहनों से अपनी
अन्जानी खुशियो का
वह खुशियां जो केवल
फरेब के सिवा कुछ भी नही
जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ ।
आंखे थकती देख राहे तेरी
पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा
बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए
राखी का एक थागा, आयेगा
भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन
वह जो बंधन से चिढता है
रिश्तों को पैसो से तौलता है
आया है फिर राखी का त्यौहार
फिर लाया है साथ में
टूटे रिश्तों की खनक.....................।
जान लो यह धागा अनमोल है
प्यार का कोई मोल नही
इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।
               .....................

Comments

  1. रक्षाबंधन के अवसर पर भाई की याद में सुंदर रचना बधाई

    ReplyDelete
  2. संवेदनात्मक प्रस्तुति।

    ReplyDelete
  3. आने वाले रक्षाबंधन के पावन पर्व के उपलक्ष में एक बहुत मार्मिक रचना ।
    भाई बहन का रिश्ता तो अटूट होता है । फिर कैसे कोई भाई रूठ सकता है ।

    ReplyDelete
  4. आज लगता है सारे रिश्ते बस तुल ही रहे हैं ....बहुत मार्मिक रचना ...

    रक्षाबंधन की शुभकामनायें

    ReplyDelete
  5. बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए
    राखी का एक थागा, आयेगा
    भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन
    वह जो बंधन से चिढता है


    sundar abhivyakti, aur bhaion ke liy ebehno ka
    ek sandesha bhi

    badhai,

    ReplyDelete
  6. संबंधों की डोर धागों से पक्के नहीं होते...ये तो अंतर्मन से जुड़े हों तो होते हैं,न हो तो नहीं होते..

    ReplyDelete
  7. बहुत सुंदर भाव लिए कविता |बधाई
    आशा

    ReplyDelete
  8. बहुतर मार्मिक ... एक बहन के टूटे दिल से निकली सदा ....
    इस पवित्र बंधन को भुलाने वाले इंसान नही होते ....

    ReplyDelete
  9. bahut accha likha h apne
    m bhi blog ikhti hu aap ek bar dekh le
    link h
    www.deepti09sharma.blogspot.com

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##

गूंजते है सन्नाटो में ......!!

अब वो बात कहा, जो कभी थी  गूंजते है सन्नाटो में  कह्कशे जोरो से  थी मुकमल कोशिश बस ....!! गमगीन सी है महफ़िल तेरी  वक्त कभी ठहरता नहीं  इंतजार कितना भी करो  जो आज है वो कल न होगा  जो कल होगा उसका बारे  क्या जान सका कोई कभी .....!!! परदे लाख डाल लो  सच पंख पसारता ही है  फिर टूटते है मासूम दिल  लगती है तोहमते वफ़ा पर  अब यहाँ क्या पायेगा  लाशो और खंडरो में  अतीत को क्या तलाश पायेगा  रहा एक सदमा सही, पर  हुआ यह भी अच्छा ही   चल गया पता अपनों में गैरो का  सभी अपने होते तो गैर  कहा जाते  अब तन्हाई में ख़ुशी का दीप जलता नहीं  बस है सिसकियाँ...और वीरानिया  देखना है वफाएचिराग जलेगा कब तलक   जो था गम अब उसकी भी परवाह नहीं..... l

आखिर कब तक सहूंगी......भाग दो

घरेलू हिंसा जो मुद्दा मैने उल्टा तीर पर उठाया किन्ही अपरिहार्य कारणो की वजह से उस ब्लाग पर नही पोस्ट कर रही हूं मैने आखिर कब तक संहूगी    शीर्षक से लिखी पोस्ट में मैने घरेलू हिसां के कारणो व प्रवृत्तियों पर लिखा जिसमें यह लिखा कि किस तरह घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति अपने काम पर भी ध्यान नही दे पाता किस तरह घरों में रिश्तों के दौरान हिंसा पनपती है। जहां तक मै समझती हूं कोई रिश्तों तब हिंसक हो उठता है जब उसे यह लगता है दूसरे को उसकी कोई परवाह नही जब पत्नियां पति पर हावी होने की कोशिश करे उसके परिवार की इज्जत न करे व उसे पलट कर जवाब दे पति की अनदेखी आथिर्क तंगी पति या पत्नी का अन्यत्र रूचि लेना। इसी तरह  काई महिला भी परिवार भी तभी हिसंक होती है जब उसकी उपेक्षा हो या उसका व्यवहार ही इस तरह का हो, दंबग होना अपना रोब व परिवार में अपनी तानाशाही चलाना ,किसी भी व्यक्ति के हिंसक होने के पीछे वो मनोवेग भी कारण होते है जिन से वह आये दिन गुजरता है ,सबसे अहम रोल होता है माहौल का जिससे बच्चे ,बूढे ,रूत्री पुरूष सभी ...