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Showing posts from March 22, 2010

दिल कितना नादान है.......।

दिल कितना नादान है करता कितनी खताये है कुछ माफी के काबिल तो कुछ न माफ़ी के काबिल इस दिल ने कितना रुलाया है देख तुझको करीब होता नही एतबार है तडपे कितना रात दिन इन्तजार नजरों का था........ वो सामने रहा हम अन्जान रहे दिल कितना परेशान है इतना उछलना कि बाद में रूयेगा। ऎ दिल अब सभंल जा गिर गया तो उठ न पायेगा दिल नदान है इसकी न सुन उसकी मासुमियत एक छलावा किस राह पर यू चलता है गिरना फिर संभलना एक फितरत है दिल तो बस नदान है......................... ....।