Skip to main content

Posts

Showing posts from April 11, 2010

अपनी खुशी को बचा कर रखना..........

तपती धुप झुलसते मन खोजे कही अपनापन नही कुछ पास बस वीरानियां क्यों होता इस तरह क्या प्रेम का यह एक दौर है........... क्या हासिल दूनिया से लडकर खालीपन........ हां बस तन्हाई प्यार है तो बंधन क्यों बंधनो में घुट जायेगे... क्यों मांगते उम्मीदों की भीख हाथ नही भरे तुम्हारे... किससे प्यार चाहतें हो पत्थर कहती दूनियां जिसकों सिर उसपर झुकाते क्यों है लोग रूसवा करते मोहब्बतों को जान कर भी प्यार दिखाते क्यों हो छीन लेते खुशियों को दोस्तों अपनी खुशी को सबसे बचा कर रखना..................।