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Showing posts from October 23, 2009

तुम !

हौले से आकर जगा देते हो मुझे ख्वाब में ही सही,उपस्थित दिखा देते हो तुम तुम जो अरमान थे, तुम जो जीवन थे! आज जो अभिशाप बन गये हो तुम हौले से आकर कानों में कुछ कहते हो तुम बुदबुदाते शब्द बनते जाते कहर! उपर एक आसमां, क्या तलाशतें हो तुम हौले से चैन छीन लेते हो तुम झुठे ही सही ,तसल्ली दे जाते हो तुम ! तुम जो विश्वास थे, छल जो बन गये तुम क्या करे अब परिभाषित, भुल जाओ तुम  प्रेम जो सच था उसे खो  चुके तुम !           _________