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Showing posts from 2012

आखिर कब तक सहुंगी...............!

आखिर जिन्दगी हार गयी जीने की चाहत होने के बावजूद उसे मौत ही मिली ?    होश में आ गयी है सरकार , आवाम। होश में नही आये वह लोग जो इस तरह के कार्य करते है क्योकि बावजूद इस दुर्दान्त घटना के, रेप के केस अभी जारी है । नेशनल क्राइम रिकार्डस ब्युरों के मुताबिक पिछले पांच वर्षो में महिलाओ के खिलाफ बलात्कार के मामले लगातार बढ रहे है । दामिनी की दर्दनाक मौत से सभी का मन दुखा है घर से  बाहर निकल कर पहली बार शायद लोगो  इतने बडे स्तर पर  इजहार किया है इंसाफ की मांग  की है दोषियों पर फांसी पर चढा देना चाहते है मन में घृणा है इस तरह के लोगो के प्रति । साथ ही अपनी बहनों , बेटियों महिलाओ की सुरक्षा के लिए चिन्ता भी है । क्या डरा देना चाहते है महिलाओ को ताकि वह हमेशा दबी रहे घर से बाहर निकलने में डरे ! महिला क्या इन्सान नही क्या एक स्त्री को लडका  पैदा करने में तकलीफ होती है और लडकी पैदा करने में नही ? महिलाओ  के बढते कदमों से भय क्यों? कौन सी यह वह महिला जो पुरूष को प्रेरित करती है दूसरी महिला के प्रति हिंसा करने के लिए !  कहने को हम आदिम युग से निकल सभ्य समाज का निर्माण कर चुके है क्या भारत की सभ

बाहर कोई मां नही जो तूझे बचा लेगी.......

बेटी हुं मै मांगती हूं..... जीने का अधिकार  क्या मां तुम मुझे इस दूनिया में आने न दोगी ? क्या तुम कत्ल कर दोगी कोख में ? यह दूनिया तूझे जन्म लेने के बाद  चैन से जीने नही देगी........ माना तूझे जन्म भी दे दुगी  पाल भी लूगी लेकिन फिर  अन्दर बाहर के भेडियों कैसे बचा पाउगी  वह छलनी कर देगे तूझे  छीन लेगे तूझसे जीने का अधिकार  पल पल जीने के लिए सांस लेने के लिए कर देगे तूझे मोहताज..................! माना इनसे भी तूझे बचा अपने आंचल में छिपा चुपचाप पाल लुंगी .......पर मेरी गुडिया  यह तो बता जब तूं सयानी होगी करने होगे मुझे तेरे हाल पीले ........ हर पल यह डर सतायेगा कोई ससुराल वाला बिना वजह कोई  ताना तो न देगा क्या तूझे ................ रखेगा कलेजे से लगा जैसे मैने रखा  माना तूझे इससे भी बचा लूगी  लेकिन फिर अगर कभी रखेगी  घर से बाहर कदम ................... कैसे विश्वास करू तू बच वापस भी आयेगी  तेरी इज्ज्त तेरा मान बचा रह पायेगा बाहर कोई मां तो नही है जो तुझे बचा लेगी ................!          

जीवन धारा: कहां सुरक्षित है महिलाएं......?

जीवन धारा: कहां सुरक्षित है महिलाएं......? : कहां सुरक्षित है महिलाएं...............................? दिल्ली में चलती बस में युवती के साथ हुए घिनौने दुष्कर्म की घटना ने सभी को  डरा ...

खुशी............

वह छीन लेगा जीने  का अधिकार भी  क्योंकि खुशी पर  तो उसका ही हक है  तुम कौन हो क्यों खुश  होने का दम भरते हो रो रो कर जीना  यही सजा है तुम्हारी  नही  तो अपनी  जिन्दगी पर गरूर न होगा।  कितना मजबूर होकर  मुस्कुराया होगा जब तुम्हे खुशी का  एक पल भी मयस्सर  हुआ होगा........................................! 

जो सिर्फ अपने लिए जीते है..........!

क्या सोचा होगा उसने गुजरा वक्त चला गया  यह जान  मन ही मन  मुस्कुराया भी होगा फिर रोया होगा  अपनी बेबसी पर  अब  चीखों का असर  कम होता जाता है । कितनी बेदर्दी से  भौकते है खंजर   जो अपना होने  का दम भरते है । छुडा कर अपना दामन  जख्मी कर देते है  कैसे होते है वह लोग जो  सिर्फ अपने लिए जीते है ।..

जीवन धारा: मां.......................!एक सुखद अहसास है...

जीवन धारा: मां.......................! एक सुखद अहसास है... : मां.......................! एक सुखद अहसास है मां का शब्द गहरी पीडा में मुक्ति का बोध थकान में आराम  जन्नत है उसकी गोद हर शब्द कम ...plz click on tittle for full post