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Showing posts from October, 2010

कोई तो है.................।

कोई  तो है जो कहे  चलो चार कदम मेरे साथ इस दुनिया में वरना  कहां अपनों को तलाश करे कैसे कहे जख्म कितने खाये है अजनबियों से कहो  उन पर भरोसा कैसे करे हर कदम सोचे तो उठाये जिन्दगी को कह दो न इतराये कभी -कभी जिन्दगी भी साथ छोड देती है कौन है फिर अपना वो साया  कही खुद की परछाइयाँ तो नही  सच किसे मान लूं मै या मेरी परछाई कौन चलता है साथ-साथ तू ही तो एक अपनी है जो अन्त तक साथ निभायेगी  वरना तो सबकुछ धुआं हो जायेगा न तुम होगे न कोई गम सताने वाला वो जो तन्हाई का सहारा है वही तो बस एक अपना है जग झूठा ,जीवन, जीने मरने का फेरा है मान लो मेरी बात सच कुछ नही  बस एक सच है, जो आज है, वो कल न होगा...........। 
दोस्त क्या है मेरे दोस्त दोस्ती का फलसफा क्या है लडते है, झगडते है फिर एक दूसरे के लिए मरते है कौन सच्चा है कौन झूठा है  आजमाने में उम्र गुजारते है......... दोस्त क्या है मेरे दोस्त  दोस्ती के मायने क्या होते है दोस्त बन निकालते है लोग  दुश्मनी, नफरतों को दोस्ती की  आड देते है फिर मतलब एक दूसरे से साधते है सच्चा दोस्त कौन है कैसे जाने कैसे पहचाने ? दोस्त क्या है मेरे दोस्त  दोस्ती का रिश्ता क्या है   जो न जाने दोस्ती का उसूल  दोस्तो, दोस्ती के पैमाने भी तय कर लो......... दोस्ती में धोखा न दो ,नफरत न दो  एक बार करो दोस्ती तो अन्त तक निभाओ  है रिश्ता यह पवित्र ,पर इन्सान इन्सान का दोस्त ......................................................................? यह कौन से जमाने की बात करते हो दोस्तो दोस्ती में कोई उम्र की सीमा न हो  कोई  आदमी औरत का भेद न हो अमीर गरीब की दीवार न हो  घमंड का नाम न हो, इन्सान जो हो पहले सच्चा  वही सच्चा दोस्त भी है........... दोस्त क्या है मेरे दोस्त दोस्ती का अन्जाम क्या है कौन जाने इतना सब पर दोस्ती के दौर का जमाना है दोस्तो इसल