Skip to main content

Posts

Showing posts from September, 2010

जिन्दगी बस इतना बता दे.......

जिन्दगी बस इतना बता दे कौन सी हुई खता हमसे  दे भले ही गम के दौर पर सताने से पहले यह तो बता वह कौन सा है पल जहां खुशी करती है बसेरा जिन्दगी तूझसे नही है कोई शिकायत आरजू है इतनी सी क्या है वो कमी जो रह गयी है आज भी खुद से तन्हा बस जरा खफा ,खफा है...... बहुत कुछ समझने के फेर में कुछ भी न समझे। जिन्दगी बस इतना बता दे कौन है वह जो आस पास अन्धेरों को रोशनी में तब्दील करने का दम रखता है दामन जो उलझा हजार कांटो में अब गुलशन की उम्मीद क्यो करे ....... साथ है बस एक साया जुदा जुदा क्यो लगता है जिन्दगी बस इतना बता दे बहारों का क्या कही कुछ पता है कह दूं बहारो को यहां पर भी आये जो कहते है यह चमन है वह आग का दरिया लगता है जलते है पांव मेरे, कैसे अंगारे बिखरे है जिन्दगी बस इतना बता दे मेरे सवालो का जवाब कही  होगा................।