जख्म अब हंसते है
न जाने मुझसे क्या चाहते है।
हंसी है लबों पर फीकी सी
मायूसियो के दौर रहते है
जिन्दगी को खेल समझा
खिसकते पल हाहाकार
करते है, थोडा ठहर जा वक्त
अभी सांस तो ले लूं
न बुलाओ मुझे
चन्द लम्हे तो जी लूं
क्या है फलसफा जब
चाहो तो नही मिलता
न चाहो तो सब कुछ पास तुम्हारे
नियति तेरे खेल न्यारे
तुने खुब ठगा है
अब जख्म मुझ पर ही चिल्लाते .............है
sundar bhav.
ReplyDeleteजख्म अब हंसते है
ReplyDeleteन जाने मुझसे क्या चाहते है।nice
जख्म अब हंसते है
ReplyDeleteन जाने मुझसे क्या चाहते है ...
जख्म बस दर्द देना जानते हैं और चाहते हैं की उस पर भी इंसान हँसे ..... बहुत अच्छा लिखा है ......
थोडा ठहर जा वक्त
ReplyDeleteअभी सांस तो ले लूं
नियति तेरे खेल न्यारे
अब जख्म मुझ पर ही चिल्लाते .............है
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ प्रस्तुत किया है आपने।
बेहतरीन। लाजवाब।
ReplyDelete"जख्म अब हंसते है"
ReplyDelete...
"चन्द लम्हे तो जी लूं"
अच्छे शब्द और भावनाएं - शुभकामनाएं
जख्म अब हंसते है
ReplyDeleteजख्म़ अब हम पर हंसते हैं......या कहें कटाक्ष करते हैं....