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Showing posts from October 30, 2009
हर रोज एक नया गम दो मुझे गमों  की आदत है आज  ये पास नही..... ....  ! ये क्योकर मुझसे दुर है बस पत्थर ही मारों दोस्तो न ही मैं नूर हूं न  ही सरूर हू! कही उठा कर एक कोने में रख दो दोस्तों किसी की ग़ल्तियाँ और माफ़ी ?  जमी मेरे किस काम की! दूर फलक पर घर बना दो मुझे एक चादर सिला दो आओ गले लगा लू तुम्हें! पल भर भी दुर न हो क्या ढुढता है अब ये दिल साया भी जुदा हो चुका है दोस्तों ! उसके सितम की कोई हद तो होगी,अब तो सितमों शह ढूढंता हू दोस्तों........!               -----------