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Showing posts from December 21, 2009

खुदाया मुझे रहमतो का एक समुन्दर दे दे.................

खुदाया मुझे रहमतो का एक समन्दर दे ............ डूब जाउ मै तेरी इबादत में इतना के कोई मुझे हटा न सके। खुदाया मुझे उजली धुप का आंगन दे दे। रख सकूं हर एक महरूम हो चुके, खुशी से बन्दे को  एक जमी ऎसी जहां नफरत पांव न जमाती हूं सिर्फ तेरी नूर से सरोबार दीवारे हों खिलते हो फूल चट्टानों पर भी मुस्कुराता एक गुलशन दे दे। वो जो देखा था अक्स तेरा हर दीदार में वो नजर दे दे। तेरी इबादत में लूटा दूं अपना सबकुछ तू सिर्फ एक झलक दे दे। खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे...............।