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Showing posts from October 2, 2009

पलकें क्यों झुक जाती है?

पलकें क्यों झुक जाती है क्यों बुदें झलक जाती है? कहते ही शब्द बोझिल होता है, मन फिर खामोश होता है कही कोई अंर्तमन मीलों तलक लम्बी दूरी.............. देखो आेसं सी छलक आयी है मेरा दामन उडने लगा बस युं ही कह दुं क्या तोड के सारे बन्धन? इन्द्रधनुष सा है मन संतरगी ख्वाब दुर तक............ चुप क्यू हो ,दिन फिर न होगा ये उडते बादल खो जायेगे रहेगा विश्राम यू ही? तेरे मेरे बीच के भेद शोर मचायेगे दूर तलक............      __________