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Showing posts from January, 2013

शब्द बन जायेगे नश्तर........

यह न सोचा था  शब्द बन जायेगे नश्तर  कर देगे भीतर तक छलनी..       होगा उसका प्यार ही  पर मेरे लिए अभिशाप से कम नही  यह न सोचा था  रूला कर उसको ,हम भी हद से ज्यादा रोयेगे     होगा यह अन्दाजे जुदा उसका  पर मेरे लिए  कभी मान्य नही  यह न सोचा था तडपा कर तडपते रहेगे    होगा एक नया अफसाना यही पर मेरे लिए गमों की सौगात सही यह न सोचा था  यादों का सफर  बन जायेगा बेर्दद सफर     होगा वह मुझसे जुदा सही  पर मेरे लिए विराम नही.......... 

जिन्दगी.........

एक सवाल मन में  आता है कभी-कभी जिन्दगी इतनी  दूर क्यों भागती है जब कोशिश करू छिटक देती है दामन बिखर जाते है हर ख्वाब मेरे जो बस रह गये बाकी जीने की हजार  वजहे पर सामने  आ जाती है......... एक तूझे ही प्यार क्यों है मुझसे दो चार पल होते है खुशी के मयस्सर रच देती है  अपना चक्रव्यूह बेबस सी निगाहे ताकती रह जाती है............ रह जाते है बस सवाल दर सवाल...........!

अन्धेरा.......

अन्धेरा धीरे धीरे पंख पैसारने लगे  दिन भी  गुमसुम खोने लगे आती है दूर से  कही एक आवाज ठहरो अभी तो  शुरूवात हुई  फिर उजालों को कह कर तो देखो मै कही दूर न था  छिपा था तुम्हारें  आस-पास तुमने कभी जाना ही नही पहचाना ही नही रात है तो सहर भी है अन्धेरा अपना  असर तो दिखायेगा  न डरना इससे कोई किरन ही  ढूंढ लेना जो  मंजिल तक पहुंचाये वो सडक ढूंढ लेना------------------!

कुछ तो है उसके मेरे दरमियां...........

कुछ तो है उसके मेरे दरमियां फासला ही सही पुकारता है  मुझे ही  जब जरूरत पडी कुछ तो  है जो दिल धडकता है सांसे रूकती है कहने को डर ही सही जब खत्म हो सबकुछ कुछ तो रह जाता बाकी है आदत जो छुटती  नही, याद जो जाती नही। कुछ तो है उसके  मेरे दरमियां फासला ही सही..........!

बाते करती हो चांद तारों की..........!

बाते करती हो चांद -तारों किस्सों की,  कहानियों की परीलोक की बातें  परीलोक में ही हो तो  अच्छा है। चांद का आना  जमीं पर तारों  का खिलखिलाना  सितारों की बाते सितारों से हो तो अच्छा है।  जमीं पर  इन्सानों का  अरे नही  अब तो वह भी बदलता  जा रहा है । बाते करती हो इन्सानों की , इन्सानों की  बाते इन्सानों से  करो धरती पर इन्सानों का तो  पता नही भूल जाओ पुराने  जमाने को अच्छा है। 

था उसे भी इन्तजार.......!

था उसे भी इन्तजार  क्या सोच हाथ  बढाया होगा सन्नाटे से कहो चीख कर शोर न करे खामोश रह कर  हक अदा करे.........! कहां जा कर  खत्म होगा यह  अनजान सफर जो शुरू तो हुआ  पर खत्म होने  नाम नही लेगा..........! था उसे भी गुमां  अपने वजूद  पर इतराया तो होगा क्षण भर में चोटिल हुए  सपने .............! ख्वाबों को हकीकत से बावस्ता तो होना होगा.........!

बेचैन मन ......

घना कोहरा  बेचैन मन  जाने किसकी  तलाश में  फिर रहा दर ब दर दिशा या दिशा भ्रम  कहां ले जायेगा यह पागलपन सब तरफ ढूंढा फिर भी  सकूंन कहां उदासी का आलम अब मेरा इम्तहां भी क्या लेगा  मै इस उम्मीद पर  डूबा कि बचा लेगा दामन ओढ फरेब का मेरा ही  रहबर निकला जिसकी थी तलाश उसे ही नदारद पाया । वह खो जायेगा  गुमनामियों में फिर कौन  उसका अलख जगायेगा।