
मुश्किल बहुत होता है
खुद को संभालना
जब बिखरते है ख्वाब
टुटता है मंजर
मुश्किल बहुत होता है
खुद को रोका पाना
पूरी होती है हसरते
तमाम
वक्त कभी ठहरता क्यों नही?
चलता रहता है बस सबसे अन्जान
मुश्किल बहुत होता
दिल का संभलना
टूटता है जब खिलौने की तरह
ख्वाहिशे जगती ही क्यो
अरमानो का दम घुटना
तो .....एक दिन
तय ही है न फिर रो कर
रूसवाईयां ...कैसे समझे वो जो
समझ कर भी अन्जान रहे
मुशकिल बहुत होता है सबसे रूठना
जो रूठे उन्हे कैसे मनाये
मुश्किल है जीवन डगर
इससे पार कैसे पाये
मुश्किल ही सही संभालो दोस्तो
टूटे दिल बडी मुश्किल से जी पाये............।
bahut sundar, abhivyakti
ReplyDeletehttp://sanjaykuamr.blogspot.com/
टूटे दिल बडी मुश्किल से जी पाये............।
ReplyDeleteदिल तो काँच का प्याला है टूटने न पाये
सुन्दर
मुश्किल बहुत होता है
ReplyDeleteखुद को संभालना
जब बिखरते है ख्वाब
टुटता है मंजर
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वक्त कभी ठहरता क्यों नही?
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टूटता है जब खिलौने की तरह
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मुश्किल है जीवन डगर
सोच को शब्द देने का सार्थक प्रयास - शुभकामनाएं
दिल टूटे तो दोस्तों का सहारा तो है ना।
ReplyDeleteगिर गिर कर ही सवार होते हैं ।
उठो फिर चलो , यही मन्त्र है।
शीर्षक से ही भावनाओं की गहराई का एह्सास होता है।
ReplyDeletenice
ReplyDeleteसच है इसलिए ही कहते हैं .. ख्वाबों को संभाल कर रखना चाहिए ...
ReplyDeleteरूह की साझेदार तो वाकई कविता के अलावा और कोई बन ही नहीं सकता। अच्छा लिखा है आपने। आपको बधाई।
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