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Showing posts from September, 2009
          महकती रहों तुम ,नन्ही कली मेरे बगिया की.....                  युं जैसे महकती है रात की रानी           तुम मेरे जीवन की आधार हो           तुम बिन थी कितनी अधूरी!                    महकती रहों तुम ,नन्ही कली मेरे बगिया की.....                                                                                  महकती रहों तुम नन्ही कली मेरी बगिया की........ जैसा मैने सोचा तुम हो नितांत वैसी ही तुम्हारा हंसना, जैसे जान हो मेरी तुम्हारा रोना, लगता ले लेगा प्राण मेरे! महकती रहो तुम,नन्ही कली मेरी बगिया की....... जीवन था जो रसहीन तुमने अपने कदमों की आहट से मेरे हर क्षण को कर दिया जीवन्त मानो! महकती रहो तुम,नन्ही कली मेरी बगिया की.......               ____________