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Showing posts from November, 2010

तू बता दे मुझे जिन्दगी.....

तू बता दे मुझे जिन्दगी कौन सा है मोड़ , जहां मुलाकात तो होगी एक तू है एक मै हूं दोनो की कशमकश की कभी तो हार होगी तू बता मुझे जिन्दगी इस बियाबां में किसकी दरकार करती है यहां आवाज  क्या सुनायी जाती है यहां अंधेरे रोशनी को हर पल तरसा करते है तू बता दे मुझे जिन्दगी इस रात की कभी तो कभी सुबह होगी तेरा दामन पकडा है अब अन्जामें वफा क्या होगी तू बता दे मुझे जिन्दगी किस गुनाह की सजा क्या तूने तय की है न जाने कब क्या हो हर पल खौफ के साये में पलती है जिन्दगी तू बता दे मुझे जिन्दगी आसमां में क्या तलाशती है यहां चाहत की इबारत पत्थरों से लिखी जाती है जो कर यह गुनाह उस क्यों मौत की आरजू न होगी.................