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Showing posts from December 12, 2009

एक शाम .......

एक शाम और तुम, दोनो कितने करीब हैं। किसे भूले किसे याद करे दोनो मेरे अपने है........ डुबता सूरज और समन्दर जैसे डुबती हर सांस है एक पल और एक गम दोनो मेरे अपने है............. किसे भूले किसे याद करे फासले बढते जाते है रह नुमा वो नही  सैलाब है हर तरफ अंधियारा घिर आये............ कैरे सवेरे की राह तके किसे भूले किसे याद करे  वक्त बहा ले जाता है............................. गम एक दरिया, मौजो का आना जाना  एक बूत और चट्टान  किसे भुले किसे याद करे.................... .।             _______