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Showing posts from November 30, 2009

उडान

बन्द होती सांसे यूं जीना भी कोई जीना है फडफडाते है पंख छूने को आकाश नये कुतरे पंख कैसे काई उडान भरे........ ! नन्ही चीडियां रश्क तूझसे  मिला खुला आकाश तूझे हवा भी कुछ कहती हौले-हौले......  ! टूटते बांध आशाओं के बन्द हो जाते  दरवाजे खुलने वाले एक मंजिल पा कर मंजिलों से दूरी है...... ! उम्मीद कहती हौले से कानों में तू क्योकर उदास है कोई सवेरा कोई सहर दाखिल होती ही है सफर बोझिल जरूर पर कट तो रहा है....... ! कतरे पंख ही सही उडान तो भर  आस मां देखता है राह तेरी बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा फिर न कहना कही रोशनी नही...... ! एक दीप जला तो जरा पग पग धर, धरा नप जाये हौसला कर कदम तो बढा. ...................!        _______