चटकते है शीशे तो आवाज़ आती है
दिल टुटे तो खनक भी नही
दस्तूर कैसा है यह इश्क का
जिसे जिन्दगी कहो वही मौत का समान है,
अपना लिया हर अन्दाज जिन्दगी का
जीने के लिए यह क्यो कर जरूरी था
वो कहता है साया हूं, है तो जुदा क्यों है?
साये से कहो , दूर रहे नजदीकी का विलाप नही
जुस्तजू है बस यह
काई रूठे तो मना लेना
कही ताउम्र फिर रोना न पडे
पायलो की खनखन मिलती नसीबों से,
किसी घुंघरू को टूटने न देना ।
दिल टुटे तो खनक भी नही
दस्तूर कैसा है यह इश्क का
जिसे जिन्दगी कहो वही मौत का समान है,
अपना लिया हर अन्दाज जिन्दगी का
जीने के लिए यह क्यो कर जरूरी था
वो कहता है साया हूं, है तो जुदा क्यों है?
साये से कहो , दूर रहे नजदीकी का विलाप नही
जुस्तजू है बस यह
काई रूठे तो मना लेना
कही ताउम्र फिर रोना न पडे
पायलो की खनखन मिलती नसीबों से,
किसी घुंघरू को टूटने न देना ।
चटकते है शीशे तो आवाज़ आती है
ReplyDeleteदिल टुटे तो खनक भी नही
दस्तूर कैसा है यह इश्क का
जिसे जिन्दगी कहो वही मौत का समान है,
वाह सुनीता जी लाजवाब लिखा है शुभकामनायें
दिल भी शीशा है जो बिना आवाज के टूटता है.
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति
अच्छी अभिव्यक्ति...
ReplyDeleteroshn ydi krna hai
ReplyDeletein dil ke alavon ko
to khud hee jlna hai
चटकते है शीशे तो आवाज़ आती है
ReplyDeleteदिल टुटे तो खनक भी नही
इसीलिए कहते हैं दिल नाज़ुक होता है।
सुन्दर प्रस्तुति।
पायलो की खनखन मिलती नसीबों से,
ReplyDeleteकिसी घुंघरू को टूटने न देना ।nice