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नित नवीन सृजन करे.....!

नव वर्ष नव कल्पना 
नित नवीन सृजन करे ।

खिले फुल महके गुलशन 
सरस किरणों का स्वागत करे ......................!
गुजित भंवरे,गुनगुन स्वर 
रिमझिम फूहार की कामना करे 
जीवन हो सरल
दिशायें दीप्तमान नवीन प्रहर का इन्तजार करें........!  
नव वर्ष नव कल्पना 
नित नवीन सृजन करे
दुख भ्रम की किचिंत छाया न हो
सुखों की अल्पविराम रागिनी हो
एक नवगीत को साज आवाज दे........................!
नव वर्ष नव कल्पना 
नित नवीन सृजन करे। 

Comments

  1. नव वर्ष नव कल्पना
    नित नवीन सृजन करे।

    सुन्दर कामनाएं, नव वर्ष के लिए, सुनीता जी ।
    आप और आप के समस्त परिवार को नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. नव वर्ष नव कल्पना
    नित नवीन सृजन करे.......

    आमीन .......... बहुत आशावादी सुंदर रचना .......
    आपको और आपके परिवार को नव वर्ष की मंगल कामनाएँ ........

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  3. इस सृजन के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
    आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  4. सभी को नव वर्ष की ढेरो शुभकामनाएं,आपकी इस हौसलाअफजाई
    के लिए मै शुक्रगुजार हुं इससे मेरे लेखनी को पंख लग जाते है वो सिर्फ उडने लगती है ताकि मै कुछ ऎसा और लिखू जो सभी को पसन्द आये व जिसमें सार्थकता भी हो.....

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  5. Sundar geet....mubarakvad.

    नया साल...नया जोश...नई सोच...नई उमंग...नए सपने...आइये इसी सदभावना से नए साल का स्वागत करें !!! नव वर्ष-2010 की ढेरों मुबारकवाद !!!

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................