अपने गमो से कब तक भागोगे तुम
एक दिन सब तुम्हारे पास आ ही जायेंगे,
चीख कर कहेगे यह हम है जिनसे
जिनसे तुम्हे बेपनाह प्यार है...........!
खुशी को तुम कब तक तलाश करोगे
देखों मै तुम्हारे करीब हूं
फिर तुम मुझसे नाता क्यों
तोडना चाहते हो,खुशी तो नकारा है.........!
एक मै ही तो हूं जो तुम्हे घेरे रखता हूं
वरना तो सभी रूसवा हो चले है
दिल को तो समझा ही लेना
वह कब तक तुम्हे रोकेगा
एक दिन तो तुम्हे अपनाना ही होगा......
फिर कौन है इस दूनिया में तुम्हारा
किसे अपना मानते, जानते हो
कितने भोले हो, तुम खुशी के फरेब
को अब तक न समझ पाये ...............
वही तो मुझे यहां ले आयी है
उसका और मेरा तो
बरसों पुराना साथ है ............
जहां खुशी जाती है मै छाया बन
उसके पीछे -पीछे चलता हूं
मै उसका साथ कभी नही छोडता
और तुम खुशी की तलाश में
मुझको , सिर्फ मुझको पा लेते हो
अगर फिर तडपते हो, तो मेरा कहां
कसुर है मै तो बस.... खुशी का हमसाया हुं....................!!
एक दिन सब तुम्हारे पास आ ही जायेंगे,
चीख कर कहेगे यह हम है जिनसे
जिनसे तुम्हे बेपनाह प्यार है...........!
खुशी को तुम कब तक तलाश करोगे
देखों मै तुम्हारे करीब हूं
फिर तुम मुझसे नाता क्यों
तोडना चाहते हो,खुशी तो नकारा है.........!
एक मै ही तो हूं जो तुम्हे घेरे रखता हूं
वरना तो सभी रूसवा हो चले है
दिल को तो समझा ही लेना
वह कब तक तुम्हे रोकेगा
एक दिन तो तुम्हे अपनाना ही होगा......
फिर कौन है इस दूनिया में तुम्हारा
किसे अपना मानते, जानते हो
कितने भोले हो, तुम खुशी के फरेब
को अब तक न समझ पाये ...............
वही तो मुझे यहां ले आयी है
उसका और मेरा तो
बरसों पुराना साथ है ............
जहां खुशी जाती है मै छाया बन
उसके पीछे -पीछे चलता हूं
मै उसका साथ कभी नही छोडता
और तुम खुशी की तलाश में
मुझको , सिर्फ मुझको पा लेते हो
अगर फिर तडपते हो, तो मेरा कहां
कसुर है मै तो बस.... खुशी का हमसाया हुं....................!!
एक कविता जो मन को गहरे तक स्पर्श करती है।
ReplyDeleteकितने भोले हो, तुम खुशी के फरेब
ReplyDeleteको अब तक न समझ पाये ...............
बहुत सही कहा है ।
सांसारिक ख़ुशी तो साया मात्र ही होती है ।
आंतरिक ख़ुशी के लिए मन को काबू में करना पड़ता है ।
एहसास के सुन्दर स्वर ..
ReplyDeletebahut pyari si rachna...achchha laga aapke blog pe aakar..!!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति..
ReplyDeleteवाह...वाह... बहुत खूब... अच्छी रचना है!
ReplyDeleteखुशियाँ हमेशा कम ही लगती हैं और सच ही है गम खुशियों का ही हमसाया होता है
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 24 - 05 - 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच
mohak,mamsparshi silp .sunder hai .badhayi
ReplyDeleteएक मै ही तो हूं जो तुम्हे घेरे रखता हूं
ReplyDeleteवरना तो सभी रूसवा हो चले है...bahut gahri abhivyakti
बहुत खूब... अच्छी रचना है!
ReplyDeleteमित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
ReplyDeleteआओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
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बुधवारीय चर्चा मंच ।