एक शाम और तुम, दोनो कितने करीब हैं।
किसे भूले किसे याद करे
दोनो मेरे अपने है........
डुबता सूरज और समन्दर
जैसे डुबती हर सांस है
एक पल और एक गम
दोनो मेरे अपने है.............
किसे भूले किसे याद करे
फासले बढते जाते है
रह नुमा वो नही
सैलाब है हर तरफ
अंधियारा घिर आये............
कैरे सवेरे की राह तके
किसे भूले किसे याद करे
वक्त बहा ले जाता है.............................
गम एक दरिया,
मौजो का आना जाना
एक बूत और चट्टान
किसे भुले किसे याद करे.....................।
_______
किसे भूले किसे याद करे
दोनो मेरे अपने है........
डुबता सूरज और समन्दर
जैसे डुबती हर सांस है
एक पल और एक गम
दोनो मेरे अपने है.............
किसे भूले किसे याद करे
फासले बढते जाते है
सैलाब है हर तरफ
अंधियारा घिर आये............
कैरे सवेरे की राह तके
किसे भूले किसे याद करे
वक्त बहा ले जाता है.............................
गम एक दरिया,
मौजो का आना जाना
एक बूत और चट्टान
किसे भुले किसे याद करे.....................।
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एक शाम और तुम, दोनो कितने करीब हैं।
ReplyDeleteकिसे भूले किसे याद करे
दोनो मेरे अपने है........
एक पल और एक गम
बहुत अच्छी डाइलेमा है। कुछ दर्द भी छुपा है ।
सुंदर पंक्तियाँ।
गम एक दरिया,
ReplyDeleteमौजो का आना जाना
एक बूत और चट्टान
किसे भुले किसे याद करे.....................।
यह रचना बहुत अच्छी लगी। जीवन का प्रवाह ही रचना का प्रवाह है और यही उसका मानदण्ड भी।
आपकी रचना अच्छी लगी। आभार।
ReplyDeleteप्रोत्साहित करने के लिए अनेक धन्यवाद। आपकी रचना अनेक भाव समेटे हुए है।शुभकामनाएं....
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