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एक ख्याल हुं मै ।

कोई मुझसे कहे कौन हुं मै, एक ख्याल हुं बस
ख्यालो का काई नाम नही़, नही कोई रंग रूप
के बस ख्याल हूं मै
कभी आना कभी जाना, है फितरत इसकी
ख्याल का कोई नाम नही, नही रंग रूप 
के बस एक ख्याल हुं मै
कोई मुझसे कहे तेरी चाहत क्या है
बस दफन होना 
न पूछे कोई मेरा हाल क्या है
के बस ख्याल हूं मै
झूठ फरेब की इस दूनिया मै कोई
हिमाकत करू ऎसी नही औकात मेरी
कोई मुझसे पुछे कहां है घर मेरा 
वो बसेरा ठुकरा दिया हमने
के बस ख्याल हूं मै।
ख्यालों का कोई पडाव नही
टुटना बिखरना जन्म उनका

फिर क्यू शिकायत 
ख्याल का कोई नाम नही , नही रंग रूप
के बस एक ख्याल हूं मै
जाने अन्जाने ही आ जाऊ दिल में तो
अफसोस न करना 
इतनी जल्दी मिट न पायेगी हस्ती मेरी
रह रह कर कचोटना
है आदत मेरी
के बस एक  ख्याल हुं मै
बन्द कर लो अपनी आंखे
हाजिर मुझे पाओगे
तुम कहो और मै चला जाऊ
तुम्हारे जहन के सिवा कहां है
बसेरा मेरा, कह दो चला जाउगा
गल्ती से फिर आ जाऊ तो मुझे कुछ न कहना
के बस एक ख्याल हुं मै।

                                     ________________

Comments

  1. waah bahut pyaari aur nyaari baat kahi hai ek khyaal hun me!!

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  2. तुम्हारे जहन के सिवा कहां है
    बसेरा मेरा, कह दो चला जाउगा
    गल्ती से फिर आ जाऊ तो मुझे कुछ न कहना
    के बस एक ख्याल हुं मै।nice

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  3. लुटाने बैठा है जो अपनी हस्ती आज
    रोक लो उसको बर्बादियों के कहर से.good

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  4. आपकी कवितायें ऐसी हैं जैसे अभी अभी कोई प्यार में हुआ है...एक सार्थक रचना के कोमल से अहसास!

    बहुत अच्छा लिखा है. जारी रहें.
    ---

    ---
    हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]

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  5. खयाल होना ही तो ज़रूरी है इस विचार हीन होती जा रही दुनिया मे

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  6. कोई मुझसे कहे तेरी चाहत क्या है
    बस दफन होना
    न पूछे कोई मेरा हाल क्या है
    के बस ख्याल हूं मै
    झूठ फरेब की इस दूनिया मै कोई
    हिमाकत करू ऎसी नही औकात मेरी
    कोई मुझसे पुछे कहां है घर मेरा
    वो बसेरा ठुकरा दिया हमने

    bahut acchaa ..........likha hain jaise khayal hu main nayab

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................