घरेलू हिंसा जो मुद्दा मैने उल्टा तीर पर उठाया किन्ही अपरिहार्य कारणो की वजह से उस ब्लाग पर नही पोस्ट कर रही हूं मैने आखिर कब तक संहूगी शीर्षक से लिखी पोस्ट में मैने घरेलू हिसां के कारणो व प्रवृत्तियों पर लिखा जिसमें यह लिखा कि किस तरह घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति अपने काम पर भी ध्यान नही दे पाता किस तरह घरों में रिश्तों के दौरान हिंसा पनपती है। जहां तक मै समझती हूं कोई रिश्तों तब हिंसक हो उठता है जब उसे यह लगता है दूसरे को उसकी कोई परवाह नही जब पत्नियां पति पर हावी होने की कोशिश करे उसके परिवार की इज्जत न करे व उसे पलट कर जवाब दे पति की अनदेखी आथिर्क तंगी पति या पत्नी का अन्यत्र रूचि लेना। इसी तरह काई महिला भी परिवार भी तभी हिसंक होती है जब उसकी उपेक्षा हो या उसका व्यवहार ही इस तरह का हो, दंबग होना अपना रोब व परिवार में अपनी तानाशाही चलाना ,किसी भी व्यक्ति के हिंसक होने के पीछे वो मनोवेग भी कारण होते है जिन से वह आये दिन गुजरता है ,सबसे अहम रोल होता है माहौल का जिससे बच्चे ,बूढे ,रूत्री पुरूष सभी ...
क्या सोचे हम क्या कहे अब सब कुछ फीका है।
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत अभिव्यक्ति. शुभकामनाएं।
रामराम.
आरजू क्या चाहती है देख ये पागलपन
ReplyDeleteन कहो उसको कुछ भी वो एक भंवरा है-------सुनीता जी इतना बढिया आपने लिख दिया कि दिल खुश हो गया। पहली पंक्ति पढने के बाद ऐसा लग रहा है कि पढता जाऊं, लेकिन कमबख्त लाइन ही खत्म हो गई। 13 लाइन की इस रचना में प्रत्येक शब्द कुछ कह रहे हैं। आप ऐसे ही लिखते रहें।
" bahut accha ...aapki lekhani ko salam "
ReplyDelete" likhati rahe aur kabhi hamare blog per bhi aaye ..aapka hardik swagat rahega "
------ eksacchai { AAWAZ }
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मायूसी में मन सदा रहता है बेचैन।
ReplyDeleteभाव बहुत अच्छा लगा और चित्र के नैन।।
www.manoramsuman.blogspot.com
manbhavan.narayan narayan
ReplyDeleteआरजू क्या चाहती है देख ये पागलपन
ReplyDeleteन कहो उसको कुछ भी वो एक भंवरा है
बहुत सुन्दर. स्वागत है.
वन्दना जी
ReplyDeleteआप मेरे ब्लाग पर आई इसके लिए शु्क्रिया आपके मेरी रचना अच्छी लगी... मैने कुछ सोचा समझा नही जो दिल में आया वही उतार दिया पहले ये सब डायरी पर लिखा करती थी अब यहां कोशिश की है।
आप सब को पढा इससे मेरा हौसला बढा है वरना मैने तो लिखना छोड ही दिया था पूरे 8 साल लग गये वापस आने में सच तो ये है मै कही खो गयी थी।........
great expression,welcome
ReplyDeleteचिट्ठा जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. बहुत अच्छा. और भी अच्छा लिखें, लेखन के द्वारा बहुत कुछ सार्थक करें, मेरी शुभकामनाएं.
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हिंदी ब्लोग्स में पहली बार Friends With Benefits - रिश्तों की एक नई तान (FWB) [बहस] [उल्टा तीर]