घरेलू हिंसा जो मुद्दा मैने उल्टा तीर पर उठाया किन्ही अपरिहार्य कारणो की वजह से उस ब्लाग पर नही पोस्ट कर रही हूं मैने आखिर कब तक संहूगी शीर्षक से लिखी पोस्ट में मैने घरेलू हिसां के कारणो व प्रवृत्तियों पर लिखा जिसमें यह लिखा कि किस तरह घरेलू हिंसा का शिकार व्यक्ति अपने काम पर भी ध्यान नही दे पाता किस तरह घरों में रिश्तों के दौरान हिंसा पनपती है। जहां तक मै समझती हूं कोई रिश्तों तब हिंसक हो उठता है जब उसे यह लगता है दूसरे को उसकी कोई परवाह नही जब पत्नियां पति पर हावी होने की कोशिश करे उसके परिवार की इज्जत न करे व उसे पलट कर जवाब दे पति की अनदेखी आथिर्क तंगी पति या पत्नी का अन्यत्र रूचि लेना। इसी तरह काई महिला भी परिवार भी तभी हिसंक होती है जब उसकी उपेक्षा हो या उसका व्यवहार ही इस तरह का हो, दंबग होना अपना रोब व परिवार में अपनी तानाशाही चलाना ,किसी भी व्यक्ति के हिंसक होने के पीछे वो मनोवेग भी कारण होते है जिन से वह आये दिन गुजरता है ,सबसे अहम रोल होता है माहौल का जिससे बच्चे ,बूढे ,रूत्री पुरूष सभी ...
Beautiful poem .
ReplyDeleteNicely expressed emotions .
wonderful thoughts ...
ReplyDeleteemotional feelings ... from inside of heart ...