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जो सिर्फ अपने लिए जीते है..........!


क्या सोचा होगा उसने
गुजरा वक्त चला गया
 यह जान 
मन ही मन 
मुस्कुराया भी होगा
फिर रोया होगा 
अपनी बेबसी पर 
अब  चीखों का असर
 कम होता जाता है ।
कितनी बेदर्दी से
 भौकते है खंजर 
 जो अपना होने
 का दम भरते है ।
छुडा कर अपना दामन 
जख्मी कर देते है 
कैसे होते है वह लोग जो 
सिर्फ अपने लिए जीते है ।..Posted by Picasa

Comments

  1. रचना में जीवन की दार्शनिकता झलक रही है।
    यदि व्यक्तिगत न हो तो , खूबसूरत कविता कहेंगे।

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