आस्तीन में है कुछ सांप
डसने को है हर दम तैयार
इनको सर उठाने न दो
एक बार जो उठ गये
इनका डसना जरूर है।
दोस्तो दोस्ती जरूरी है
पर आस्तीन के सांपों से
बचना भी जरूरी है।
बेगानो की इस दूनिया में
विश्वास कहां से पायेंगे
जो करोगे भरोसा धोखा भी तो खायेगे.........।
भरोसा एक नियति है
इससे कब तक बच पाआगे
मेरे अपने कहां अपने बन पाये है
गैरों ने तो फिर भी गले लगाया है..........।
डसने को है हर दम तैयार
इनको सर उठाने न दो
एक बार जो उठ गये
इनका डसना जरूर है।
दोस्तो दोस्ती जरूरी है
पर आस्तीन के सांपों से
बचना भी जरूरी है।
बेगानो की इस दूनिया में
विश्वास कहां से पायेंगे
जो करोगे भरोसा धोखा भी तो खायेगे.........।
भरोसा एक नियति है
इससे कब तक बच पाआगे
मेरे अपने कहां अपने बन पाये है
गैरों ने तो फिर भी गले लगाया है..........।
मेरे अपने कहां अपने बन पाये है
ReplyDeleteगैरों ने तो फिर भी गले लगाया है..........।
दिल का दर्द दर्शाती भावपूर्ण रचना ।
अपनों का दिया दर्द ज्यादा दर्दीला होता है ।
सुंदर संदेश देती रचना।
ReplyDeleteबहुत प्रेरणा देती हुई सुन्दर रचना ...
ReplyDeleteगणतंत्र दिवस की हार्दिक बधाइयाँ !!
Happy Republic Day.........Jai HIND
आप सभी को यह रचना पसन्द आयी धन्यवाद ।
ReplyDeleteचर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 01- 02- 2011
ReplyDeleteको ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..
http://charchamanch.uchcharan.com/
मेरे अपने कहां अपने बन पाये है
ReplyDeleteगैरों ने तो फिर भी गले लगाया है...
वर्तमान में जीवन की सच्चाई तो यही है
सुन्दर अभिव्यक्ति...
दोस्तो दोस्ती जरूरी है
ReplyDeleteपर आस्तीन के सांपों से
बचना भी जरूरी है।
बेगानो की इस दूनिया में
विश्वास कहां से पायेंगे
...
बहुत सार्थक प्रस्तुति..
दोस्ती जरुरी है पर आस्तीन के साँपों से बचना भी तो जरुरी है ...
ReplyDeleteमगर आस्तीन के सांप पहचाने तो तभी जाते हैं जब आस्तीन में आते हैं !
बहुत सुंदर .....सार्थक भाव लिए रचना .....
ReplyDelete"दोस्तो दोस्ती जरूरी है
ReplyDeleteपर आस्तीन के सांपों से
बचना भी जरूरी है"