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जिन्दगी बस इतना बता दे.......

जिन्दगी बस इतना बता दे
कौन सी हुई खता हमसे
 दे भले ही गम के दौर
पर सताने से पहले यह तो बता
वह कौन सा है पल जहां
खुशी करती है बसेरा
जिन्दगी तूझसे नही है कोई शिकायत
आरजू है इतनी सी
क्या है वो कमी जो रह गयी है आज भी
खुद से तन्हा बस जरा खफा ,खफा है......
बहुत कुछ समझने के फेर में कुछ भी न समझे।
जिन्दगी बस इतना बता दे
कौन है वह जो आस पास
अन्धेरों को रोशनी में तब्दील करने का दम रखता है
दामन जो उलझा हजार कांटो में
अब गुलशन की उम्मीद क्यो करे .......
साथ है बस एक साया
जुदा जुदा क्यो लगता है
जिन्दगी बस इतना बता दे
बहारों का क्या कही कुछ पता है
कह दूं बहारो को यहां पर भी आये
जो कहते है यह चमन है
वह आग का दरिया लगता है
जलते है पांव मेरे, कैसे अंगारे बिखरे है
जिन्दगी बस इतना बता दे
मेरे सवालो का जवाब कही  होगा................। 

Comments

  1. गहराई से लिखी गयी एक सुंदर रचना...

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  2. जो कहते है यह चमन है
    वह आग का दरिया लगता है
    जलते है पांव मेरे, कैसे अंगारे बिखरे है
    निराशा, उदासी और मौन के बीच मानवता की पैरवी करती मन के आवेग की प्रस्तुति है। संवेदना के कई तस्‍तरों का संस्‍पर्श करती यह कविता जीवन के साथ चलते चलते मन की छटपटाहट को पूरे आवेश के साथ व्‍यक्त करती है।

    देसिल बयना-खाने को लाई नहीं, मुँह पोछने को मिठाई!, “मनोज” पर, ... रोचक, मज़ेदार,...!

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  3. जिन्दगी बस इतना बता दे
    बहारों का क्या कही कुछ पता है
    कह दूं बहारो को यहां पर भी आये
    अहसासों की सुन्दर अभिव्यक्ति । उम्दा रचना ।

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  4. बहुत भावुक मन से लिखी कविता ....हृदयस्पर्शी

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  5. V.Well Written.
    Some lines r v.v.v.nice! GREAT.
    kp it up

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  6. जिन्दगी बस इतना बता दे
    मेरे सवालो का जवाब कही होगा..

    इन सब सवालों का जवाब भी इसी जिंदगी में छुपा है ... जीने के प्रयास में जवाब ज़रूर मिलेगा ... अच्छा लिखा है ...

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................