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दिल कितना नादान है.......।


दिल कितना नादान है
करता कितनी खताये है
कुछ माफी के काबिल
तो कुछ न माफ़ी के काबिल
इस दिल ने कितना रुलाया है
देख तुझको करीब
होता नही एतबार है
तडपे कितना रात दिन
इन्तजार नजरों का था........
वो सामने रहा हम अन्जान रहे
दिल कितना परेशान है
इतना उछलना कि बाद में रूयेगा।
ऎ दिल अब सभंल जा
गिर गया तो उठ न पायेगा
दिल नदान है इसकी न सुन
उसकी मासुमियत एक छलावा
किस राह पर यू चलता है
गिरना फिर संभलना एक फितरत है
दिल तो बस नदान है.............................।

Comments

  1. बच्चे मन के सच्चे.....उनके आँखों में सच का पानी....
    .....
    .......
    विश्व जल दिवस..........नंगा नहायेगा क्या...और निचोड़ेगा क्या ?...
    लड्डू बोलता है ....इंजीनियर के दिल से..
    http://laddoospeaks.blogspot.com/2010/03/blog-post_22.html

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  2. दिल तो बस नदान है.............................।
    इसकी नादानियाँ अच्छी भी तो होती हैं
    खूबसूरत रचना

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  3. दिल तो बस नादान है..

    बहुत बढ़िया रचना!


    ----

    हिन्दी में विशिष्ट लेखन का आपका योगदान सराहनीय है. आपको साधुवाद!!

    लेखन के साथ साथ प्रतिभा प्रोत्साहन हेतु टिप्पणी करना आपका कर्तव्य है एवं भाषा के प्रचार प्रसार हेतु अपने कर्तव्यों का निर्वहन करें. यह एक निवेदन मात्र है.

    अनेक शुभकामनाएँ.

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  4. इतना उछलना कि बाद में रूयेगा।
    बहुत अच्छी प्रस्तुति।

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  5. सच्चाई की अभिव्यक्ति के लिए शुभकामनायें !

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  6. दिल तो पागल है , दिल दीवाना है।
    इस दिल की यही खासियत है।
    बढ़िया लिखा सुनीता जी ।

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  7. ग़ज़ब की कविता ................ कोई बार सोचता हूँ इतना अच्छा कैसे लिखा जाता है


    संजय कुमार
    हरियाणा
    http://sanjaybhaskar.blogspot.com

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  8. दिल कितना नादान है
    करता कितनी खताये है
    कुछ माफी के काबिल
    तो कुछ न माफ़ी के काबिल
    इस दिल ने कितना रुलाया है


    हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।..........

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  9. सभी ने इतने अच्छे कमेट दिए शुक्रिया आप मेरी अन्य रचना बलाग के दूसरे पेज पर पढ सकते है न "दिन का पता न रात की फिक्र".......

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................