बाते करती हो
चांद -तारों
किस्सों की,
कहानियों की
परीलोक की बातें
परीलोक में ही हो तो
अच्छा है।
चांद का आना
जमीं पर तारों
का खिलखिलाना
सितारों की बाते
सितारों से हो तो
अच्छा है।
जमीं पर
इन्सानों का
अरे नही
अब तो वह
भी बदलता
जा रहा है ।
बाते करती हो
इन्सानों की ,
इन्सानों की
बाते इन्सानों से
करो धरती पर
इन्सानों का तो
पता नही भूल
जाओ पुराने
जमाने को
अच्छा है।
चांद -तारों
किस्सों की,
कहानियों की
परीलोक की बातें
परीलोक में ही हो तो
अच्छा है।
चांद का आना
जमीं पर तारों
का खिलखिलाना
सितारों की बाते
सितारों से हो तो
अच्छा है।
जमीं पर
इन्सानों का
अरे नही
अब तो वह
भी बदलता
जा रहा है ।
बाते करती हो
इन्सानों की ,
इन्सानों की
बाते इन्सानों से
करो धरती पर
इन्सानों का तो
पता नही भूल
जाओ पुराने
जमाने को
अच्छा है।
अब इंसान बसते ही कहाँ हैं धरती पर .... अच्छी प्रस्तुति
ReplyDeleteअब इंसान नहीं हैवान बसने लगी हैं धरती पर ...
ReplyDeleteभावमय प्रस्तुति ...
बहुत शुक्रिया, आपने अपना समय दिया व व इस रचना पर कमेंट किये आभार।
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