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Showing posts from June 29, 2013

छलक पड़े.... तो प्रलय बन गए ......!!!

क्यों हो गयी शिव तुम्हारी जटाए कमजोर नहीं संभल पाई ........!!! वेग और प्रचण्डना को  मेरी असहनीय क्रोध के आवेग को  पुरे गर्जना से बह गया क्रोध मेरा  बनकर मासूमो पर भी जलप्रलय  मै............ सहती रही .निसब्द देखती रही  रोकते रहे मेरी राहे अपनी ... पूरी अडचनों से नहीं ,बस और नहीं  टूट पड़ा मेरे सब्र का बांध और तोड़  दिए वह सारे बंधन जो अब तक  रुके रहे आंसू के भर कर सरोवर  छलक पड़े तो प्रलय बन गए .... कब तक  मै रुकी रहती.. सहती रहती  जो थी दो धाराये वह तीन हो चली है   एक मेरे सब्र की, असीम वेदना की... उस अटूट विश्वास की जो तुम पर था  खंड खंड है सपने, घरोंदे ,खेत, खलियान  तुम्हारा  वो हर निर्माण जो तुमने , जो तुम्हारा नाम ले बनाये थे लोगो  ने  गूंज रहा है मेरा नाम ...... कभी डर से तो कभी फ़रियाद से  काश तुमने मेरा रास्ता न रोका होता  काश तुम सुन पाते मरघट सी आवाज  मेरी बीमार कर्राहे..........!!!! नहीं तुम्हे मेरी फ़िक्र कहा  तुम डूबे रहे सोमरस के स्वादन में  मद में प्रलोभन में ,अहंकार में  नहीं सुनी मेरी सिसकिया रोती रही बेटिया..माँ लेकर तुम्हारा नाम  ...देख