हर बरस की तरह यह बरस भी बीत जायेगा
तूझे समझने की कशिश में यह वक्त गुजर जायेगा
कभी लगता अपना कभी फरेब सा
धोखा सा कभी तो कभी अनजाना सा साया।
हर बरस की तरह यह बरस भी बीत जायेगा
कभी अपनो का साथ तो कभी जुदाई
हर पल जीने की तमन्ना तो उचाट मन
जीवन को जानने की राह में हरदम
कुछ नया ही रहस्य उभर आया
चौकन्ना तो कभी लापरवाह सा
क्यों यह साथ इतना खामोश सा रहा
हर बरस की तरह यह बरस भी बीत जायेगा ।
अब आने वाला पल क्या खेल रचायेगा
कौन हंसेगा किसको रूलायेगा
आने वाले वक्त को क्या समझ पायेगा ।
आने वाले वक्त को क्या समझ पायेगा ।
खेल रचायेगा हर आने वाला पल ..बढ़िया...
ReplyDeleteआने वाला पल जो भी लायेगा , अच्छा ही लायेगा ।
ReplyDeleteशुभकामनायें ।
यकीनन बीत जाएगा ...
ReplyDeleteएहसास की सुन्दर रचना