साथ चलने का वादा!
वादा तो फिर वादा है
जरूरी तो नही इसको निभाना!
जो कहता रहा शख्श
सभंलना,संभलना वही फिर,
लडखडाया क्यूं है ?
कौन समझे दिल की बातें !
यह तो बाजारों में बिकता है
सौदेबाजी है प्यार, वफा
सच्चाई गुजरे जमाने की अदा है।
सच से मुंह न मोडो
झूठे जाल फैलाये कितने रहबर है।
जिसको समझते हो तुम जिन्दगी
वही तो मौत का सामान है!
दावा करते है जो उम्र भर
साथ निभाने का !
यह साथ बीच सफर में छूटता क्यूं है !
भ्रम में खो अपनों से गुस्ताखियां
ये तो खुदा को भी मंजूर नही है!
पलट देता है वह पल में किस्मतें
अपनी किस्मत पर रक्श करते जो है ।
पक्षी तू अकेला राह में
किसको अपना समझने की भूल करता है .................।
वादा तो फिर वादा है
जरूरी तो नही इसको निभाना!
जो कहता रहा शख्श
सभंलना,संभलना वही फिर,
लडखडाया क्यूं है ?
कौन समझे दिल की बातें !
यह तो बाजारों में बिकता है
सौदेबाजी है प्यार, वफा
सच्चाई गुजरे जमाने की अदा है।
सच से मुंह न मोडो
झूठे जाल फैलाये कितने रहबर है।
जिसको समझते हो तुम जिन्दगी
वही तो मौत का सामान है!
दावा करते है जो उम्र भर
साथ निभाने का !
यह साथ बीच सफर में छूटता क्यूं है !
भ्रम में खो अपनों से गुस्ताखियां
ये तो खुदा को भी मंजूर नही है!
पलट देता है वह पल में किस्मतें
अपनी किस्मत पर रक्श करते जो है ।
पक्षी तू अकेला राह में
किसको अपना समझने की भूल करता है .................।
निर्मोही की बेवफाई !
ReplyDeleteदावा करते है जो उम्र भर
साथ निभाने का !
आजकल प्रेमियों के दावे भी नेताओं जैसे हो गए हैं .
दिल से निकली रचना .
भावपूर्ण अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteGood poem on emotion's. Thanks.
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