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वो होठो से तो कुछ कहेगी नही.........।

वो होठो से तो कुछ कहेगी नही
देख मेरे हालात जाने क्या समझेगी........।
दूरिया आज क्यो है?
कल क्या था जो करीब थे............।
चुपके से छोड देगी मेरे दर को 
जाने कहां उसकी सहर होगी.........।
जो करते है अपनी खुशी कुर्बान 
क्या दूसरों को खुशी दे पाते है........।
करते है ढोग जीने का ढंग से मर भी नही पाते है.........।
वो कह देगी अलविदा
बदल कर अपना रस्ता 
मेरा सफर दोस्त कठिन जरूर है............।
यहां नफरत नही प्रेम से रोशन जहां है
एक दूनिया है ऎसी जहां मासूमियत है.........।
नही है चलाकियां दूनिया की
उससे कहो वह अपना रास्ता बदल दे.......।
गुमराह करे इससे पहले कोई उसे 
वापस उसका हसीन दूनियां में आने का इन्तजार है.........। 

Comments

  1. करते है ढोग जीने का ढंग से मर भी नही पाते है.........।

    बहुत सुन्दर ...मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..

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  2. जो करते है अपनी खुशी कुर्बान
    क्या दूसरों को खुशी दे पाते है........।

    सोच में डाल दिया ।

    यहां नफरत नही प्रेम से रोशन जहां है
    एक दूनिया है ऎसी जहां मासूमियत है.........।

    खूबसूरत होगी वो दुनिया ।

    ReplyDelete

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##

जिन्दगी बस इतना बता दे.......

जिन्दगी बस इतना बता दे कौन सी हुई खता हमसे  दे भले ही गम के दौर पर सताने से पहले यह तो बता वह कौन सा है पल जहां खुशी करती है बसेरा जिन्दगी तूझसे नही है कोई शिकायत आरजू है इतनी सी क्या है वो कमी जो रह गयी है आज भी खुद से तन्हा बस जरा खफा ,खफा है...... बहुत कुछ समझने के फेर में कुछ भी न समझे। जिन्दगी बस इतना बता दे कौन है वह जो आस पास अन्धेरों को रोशनी में तब्दील करने का दम रखता है दामन जो उलझा हजार कांटो में अब गुलशन की उम्मीद क्यो करे ....... साथ है बस एक साया जुदा जुदा क्यो लगता है जिन्दगी बस इतना बता दे बहारों का क्या कही कुछ पता है कह दूं बहारो को यहां पर भी आये जो कहते है यह चमन है वह आग का दरिया लगता है जलते है पांव मेरे, कैसे अंगारे बिखरे है जिन्दगी बस इतना बता दे मेरे सवालो का जवाब कही  होगा................। 

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अब वो बात कहा, जो कभी थी  गूंजते है सन्नाटो में  कह्कशे जोरो से  थी मुकमल कोशिस बस ....!! गमगीन सी है महफ़िल तेरी  वक्त कभी ठहरता नहीं  इंतजार कितना भी करो  जो आज है वो कल न होगा  जो कल होगा उसका बारे  क्या जान सका कोई कभी .....!!! परदे लाख डाल लो  सच  पंख पसारता ही है  फिर टूटते है मासूम दिल  लगती है तोहमते वफ़ा पर  अब यहाँ क्या पायेगा  लाशो और खंडरो में  अतीत को क्या तलाश पायेगा  रहा एक सदमा सही, पर  हुआ यह भी अच्छा ही   चल गया पता अपनों में गैरो का  सभी अपने होते तो गैर  कहा जाते  अब तन्हाई में ख़ुशी का दीप जलता नहीं  बस है सिसकियाँ...और वीरानिया  देखना है वफाएचिराग जलेगा कब तलक   जो था गम अब उसकी भी परवाह नहीं..... l