वो होठो से तो कुछ कहेगी नही
देख मेरे हालात जाने क्या समझेगी........।
दूरिया आज क्यो है?
कल क्या था जो करीब थे............।
चुपके से छोड देगी मेरे दर को
जाने कहां उसकी सहर होगी.........।
जो करते है अपनी खुशी कुर्बान
क्या दूसरों को खुशी दे पाते है........।
करते है ढोग जीने का ढंग से मर भी नही पाते है.........।
वो कह देगी अलविदा
बदल कर अपना रस्ता
मेरा सफर दोस्त कठिन जरूर है............।
यहां नफरत नही प्रेम से रोशन जहां है
एक दूनिया है ऎसी जहां मासूमियत है.........।
नही है चलाकियां दूनिया की
उससे कहो वह अपना रास्ता बदल दे.......।
गुमराह करे इससे पहले कोई उसे
वापस उसका हसीन दूनियां में आने का इन्तजार है.........।
देख मेरे हालात जाने क्या समझेगी........।
दूरिया आज क्यो है?
कल क्या था जो करीब थे............।
चुपके से छोड देगी मेरे दर को
जाने कहां उसकी सहर होगी.........।
जो करते है अपनी खुशी कुर्बान
क्या दूसरों को खुशी दे पाते है........।
करते है ढोग जीने का ढंग से मर भी नही पाते है.........।
वो कह देगी अलविदा
बदल कर अपना रस्ता
मेरा सफर दोस्त कठिन जरूर है............।
यहां नफरत नही प्रेम से रोशन जहां है
एक दूनिया है ऎसी जहां मासूमियत है.........।
नही है चलाकियां दूनिया की
उससे कहो वह अपना रास्ता बदल दे.......।
गुमराह करे इससे पहले कोई उसे
वापस उसका हसीन दूनियां में आने का इन्तजार है.........।
करते है ढोग जीने का ढंग से मर भी नही पाते है.........।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ...मर्मस्पर्शी प्रस्तुति..
जो करते है अपनी खुशी कुर्बान
ReplyDeleteक्या दूसरों को खुशी दे पाते है........।
सोच में डाल दिया ।
यहां नफरत नही प्रेम से रोशन जहां है
एक दूनिया है ऎसी जहां मासूमियत है.........।
खूबसूरत होगी वो दुनिया ।