दिल क्या चाहता है,यह चाहत से अन्जान है.............।
आती हई बर्फीली हवाओ से पूछो
तूफान का कोई पैगाम है क्या
एक मोड जो छोड आये हम
उस मोड से गुजरने का क्या इरादा है
हसीन वादियों तारों के
टूटने का इन्तजार न करो
मांगू एक मुराद ऎसी
कोई ख्वाहिश तो नही
दिल क्या चाहता है,यह चाहत से अन्जान है..........।
सरगोशियां सी कानो में
उसको आवाज न दों
अरमान मचल गये तो
बहुत कोहराम मचायेगें
बहारों को गुजर जाने दो
ख्वाबों के जहां में जाने दो।
दिल क्या चाहता है, यह चाहत से अन्जान है..............।
आती हई बर्फीली हवाओ से पूछो
तूफान का कोई पैगाम है क्या
एक मोड जो छोड आये हम
उस मोड से गुजरने का क्या इरादा है
हसीन वादियों तारों के
टूटने का इन्तजार न करो
मांगू एक मुराद ऎसी
कोई ख्वाहिश तो नही
दिल क्या चाहता है,यह चाहत से अन्जान है..........।
सरगोशियां सी कानो में
उसको आवाज न दों
अरमान मचल गये तो
बहुत कोहराम मचायेगें
बहारों को गुजर जाने दो
ख्वाबों के जहां में जाने दो।
दिल क्या चाहता है, यह चाहत से अन्जान है..............।
रचना का यह भाव कि चाहत से अन्जान।
ReplyDeleteयह भी बेहतर ही लगा मचल रहे अरमान।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
अच्छी अभिव्यक्ति !!
ReplyDeleteसरगोशियां सी कानो में
ReplyDeleteसहज सरल और सच्ची अभिव्यक्ति -शुभकामनाये.
बहुत अच्छी अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteअरमान मचल गये तो
ReplyDeleteबहुत कोहराम मचायेगें
बहुत कशिश है इन लफ़्ज़ों में।
सुन्दर अभिव्यक्ति।
अच्छी अभिव्यक्ति प्रस्तुति के लिए धन्यवाद ...
ReplyDeletenice
ReplyDeletesundar rachna
ReplyDeletebadhai........