खुदाया मुझे रहमतो का एक समन्दर दे ............
डूब जाउ मै तेरी इबादत में इतना
के कोई मुझे हटा न सके।
खुदाया मुझे उजली धुप का आंगन दे दे।
रख सकूं हर एक महरूम हो चुके, खुशी से बन्दे को
एक जमी ऎसी जहां नफरत
पांव न जमाती हूं सिर्फ तेरी नूर से सरोबार दीवारे हों
खिलते हो फूल चट्टानों पर भी
मुस्कुराता एक गुलशन दे दे।
वो जो देखा था अक्स तेरा
हर दीदार में वो नजर दे दे।
तेरी इबादत में लूटा दूं अपना सबकुछ
तू सिर्फ एक झलक दे दे।
खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे...............।
डूब जाउ मै तेरी इबादत में इतना
के कोई मुझे हटा न सके।
खुदाया मुझे उजली धुप का आंगन दे दे।
रख सकूं हर एक महरूम हो चुके, खुशी से बन्दे को
एक जमी ऎसी जहां नफरत
पांव न जमाती हूं सिर्फ तेरी नूर से सरोबार दीवारे हों
मुस्कुराता एक गुलशन दे दे।
वो जो देखा था अक्स तेरा
हर दीदार में वो नजर दे दे।
तेरी इबादत में लूटा दूं अपना सबकुछ
तू सिर्फ एक झलक दे दे।
खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे...............।
खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे.......
ReplyDelete-बहुत खूब!!!
एक जमी ऎसी जहां नफरत
ReplyDeleteपांव न जमाती हूं सिर्फ तेरी नूर से सरोबार दीवारे हों
बहुत अच्छे भाव। अभिव्यक्ति शैली-शिल्प और संप्रेषणीयता में अद्वितीय रचना।
खिलते हो फूल चट्टानों पर भी
ReplyDeleteमुस्कुराता एक गुलशन दे दे।
वो जो देखा था अक्स तेरा
हर दीदार में वो नजर दे दे।
बहुत सुन्दर भाव।
तेरी इबादत में लूटा दूं अपना सबकुछ
ReplyDeleteतू सिर्फ एक झलक दे दे।
खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे.............
आमीन .........
बहुत लाजवाब .......... कशिश है आपके लिखने में .......
तेरी इबादत में लूटा दूं अपना सबकुछ
ReplyDeleteतू सिर्फ एक झलक दे दे।
खुदाया मुझे रहमतों का एक समुन्दर दे दे...
बहुत सुन्दर .... लाजवाब
खुदा के रहमते अगर नसीब हो जाए तो हम अपने करीब हो जाए.. शिल्प,सम्वेदना अदभुत है...।
ReplyDeleteअपने प्रयास का पता है..
www.shesh-fir.blogspot.com
डा.अजीत, हरिद्वार
मै आप सभी की शुक्रगुजार हूं आपने मेरी रचना को पसन्द किया इस पर कांमेंट किये आपकों यह उदगार अच्छे लगे इसके लिए आभार नव वर्ष सभी के जीवन में नयी नयी खुशियां लाये यही मेरी कामनां है।
ReplyDeleteसुनीता शर्मा खत्री
Ganga Ke Kareeb
http://sunitakhatri.blogspot.com