बन्द होती सांसे
यूं जीना भी कोई जीना है
फडफडाते है पंख छूने को आकाश नये
कुतरे पंख कैसे काई उडान भरे........ !
नन्ही चीडियां रश्क तूझसे
मिला खुला आकाश तूझे
हवा भी कुछ कहती हौले-हौले...... !
टूटते बांध आशाओं के
बन्द हो जाते दरवाजे खुलने वाले
एक मंजिल पा कर मंजिलों से दूरी है...... !
उम्मीद कहती हौले से कानों में
तू क्योकर उदास है कोई सवेरा
कोई सहर दाखिल होती ही है
सफर बोझिल जरूर पर कट तो रहा है....... !
कतरे पंख ही सही उडान तो भर
आस मां देखता है राह तेरी
बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा
फिर न कहना कही रोशनी नही...... !
एक दीप जला तो जरा
पग पग धर, धरा नप जाये
हौसला कर कदम तो बढा....................!
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यूं जीना भी कोई जीना है
फडफडाते है पंख छूने को आकाश नये
कुतरे पंख कैसे काई उडान भरे........ !
नन्ही चीडियां रश्क तूझसे
मिला खुला आकाश तूझे
हवा भी कुछ कहती हौले-हौले...... !
टूटते बांध आशाओं के
बन्द हो जाते दरवाजे खुलने वाले
एक मंजिल पा कर मंजिलों से दूरी है...... !
उम्मीद कहती हौले से कानों में
तू क्योकर उदास है कोई सवेरा
कोई सहर दाखिल होती ही है
सफर बोझिल जरूर पर कट तो रहा है....... !
कतरे पंख ही सही उडान तो भर
आस मां देखता है राह तेरी
बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा
फिर न कहना कही रोशनी नही...... !
एक दीप जला तो जरा
पग पग धर, धरा नप जाये
हौसला कर कदम तो बढा....................!
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कतरे पंख ही सही उडान तो भर
ReplyDeleteआस मां देखता है राह तेरी
बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा
फिर न कहना कही रोशनी नही...... !
बहुत खूब। सकारात्मक रचना।
अच्छी सोच पर्दर्शित की है सुनीता जी।
Meri kavita ki utni samajh nahi hai par keh sakta hoon ki yeh behatrin hai.aise hi likhti rahe mam aur apni comments se doosro ko protsahit kare
ReplyDeleteवैचारिक ताजगी लिए हुए रचना विलक्षण है।
ReplyDeleteबहुत अच्छी रचना है। भाव, विचार और शिल्प सभी प्रभावित करते हैं। सार्थक और सारगर्भित प्रस्तुति ।
ReplyDeleteमैने अपने ब्लग पर एक कविता लिखी है-रूप जगाए इच्छाएं-समय हो पढ़ें और कमेंट भी दें ।- http://drashokpriyaranjan.blogspot.com
एक दीप जला तो जरा
ReplyDeleteपग पग धर, धरा नप जाये
हौसला कर कदम तो बढा...................
बेहतरीन-आभार
बहुत खूब। सकारात्मक रचना।
ReplyDeleteवाकई बहुत अच्छी रचना ।
ReplyDeleteBahut sundar,sakaratmak rachna..."mushkil sahee,manzile jaanib qadam to badha!"
ReplyDeleteकतरे पंख ही सही उडान तो भर
ReplyDeleteआस मां देखता है राह तेरी
बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा
फिर न कहना कही रोशनी नही...... !
एक दीप जला तो जरा
पग पग धर, धरा नप जाये
हौसला कर कदम तो बढा.......
!!साहस बंधाती सुन्दर रचना
कतरे पंख ही सही उडान तो भर
ReplyDeleteआस मां देखता है राह तेरी
बंधी मुठ्रठी खोल तो जरा
फिर न कहना कही रोशनी नही...... !
एक दीप जला तो जरा
पग पग धर, धरा नप जाये
हौसला कर कदम तो बढा....................!
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इसी हौसले की तो ज़रूरत है.