आज फिर दिल रोया है बार-बार
छलछलाते अश्क कह देते हर बात
जख़्मी सांस, क्यो फरेब सहता है मन?
क्या है रोक लेता है जो कदमों को बार-बार
किस तरह खेलते है लोग दिलों से
कर देते है बस चकनाचुर
आज फिर गमों का दौर आया है
हसरतों का टूटना ,बिखरना
मरना फिर जी लेना
ख़ुशियों क्यों छीन लेते है लोग
क्यों नही समझ पाता कोई मन?
आज फिर दिल टुटा है
यहां आवाज़ नही साज़ नही
खामोशी ओर बस घुटन....................
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adbhut!!! dard ki aawaaz!!
ReplyDeleteइस कविता में , बहुत गहरे स्तर पर एक बहुत ही छुपी हुई करुणा और गम्भीरता है।
ReplyDeleteख़ुशियों क्यों छीन लेते है लोग
ReplyDeleteक्यों नही समझ पाता कोई मन?
आज फिर दिल टुटा है
यहां आवाज़ नही साज़ नही
खामोशी ओर बस घुटन......
bahut achchi lagin yeh lines....
bhaavnaon ko bahut achche se express kiya hai ......apne.....
मैं चाहूंगा कि और और और बेहतर तरीके से कहो...!
ReplyDeleteमर्मस्पर्शी रचना.
ReplyDeleteएक उदासी जो गहरे तक उतर गई.