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बाहर कोई मां नही जो तूझे बचा लेगी.......

बेटी हुं मै मांगती हूं..... जीने का अधिकार 
क्या मां तुम मुझे इस दूनिया में आने न दोगी ?
क्या तुम कत्ल कर दोगी कोख में ?

यह दूनिया तूझे जन्म लेने के बाद 
चैन से जीने नही देगी........
माना तूझे जन्म भी दे दुगी 
पाल भी लूगी लेकिन फिर 
अन्दर बाहर के भेडियों कैसे बचा पाउगी 
वह छलनी कर देगे तूझे 
छीन लेगे तूझसे जीने का अधिकार 
पल पल जीने के लिए सांस लेने के लिए
कर देगे तूझे मोहताज..................!
माना इनसे भी तूझे बचा अपने आंचल में छिपा
चुपचाप पाल लुंगी .......पर मेरी गुडिया 
यह तो बता जब तूं सयानी होगी
करने होगे मुझे तेरे हाल पीले ........
हर पल यह डर सतायेगा कोई
ससुराल वाला बिना वजह कोई 
ताना तो न देगा क्या तूझे ................
रखेगा कलेजे से लगा जैसे मैने रखा 
माना तूझे इससे भी बचा लूगी 
लेकिन फिर अगर कभी रखेगी 
घर से बाहर कदम ...................
कैसे विश्वास करू तू बच वापस भी आयेगी 
तेरी इज्ज्त तेरा मान बचा रह पायेगा
बाहर कोई मां तो नही है जो तुझे बचा लेगी ................!
         

Comments

  1. सुन्दर, सार्थक और मार्मिक प्रस्तुति।

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................