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मै तो खुशी का हमसाया हुं........

अपने गमो से कब तक भागोगे तुम
एक दिन सब तुम्हारे पास आ ही जायेंगे,
चीख कर कहेगे यह हम है जिनसे
जिनसे तुम्हे बेपनाह प्यार है...........!
खुशी को तुम कब तक तलाश करोगे
देखों मै तुम्हारे करीब हूं
फिर तुम मुझसे नाता क्यों
तोडना चाहते हो,खुशी तो नकारा है.........!
एक मै ही तो हूं जो तुम्हे घेरे रखता हूं
वरना तो सभी रूसवा हो चले है
दिल को तो समझा ही लेना 
वह कब तक तुम्हे रोकेगा 
एक दिन तो तुम्हे अपनाना ही होगा......
फिर कौन है इस दूनिया में तुम्हारा
किसे अपना मानते, जानते हो
कितने भोले हो, तुम खुशी के फरेब 
को अब तक न समझ पाये ...............
वही तो मुझे यहां ले आयी है
उसका और मेरा तो
बरसों पुराना साथ है ............
जहां खुशी जाती है मै छाया बन
उसके पीछे -पीछे चलता हूं
मै उसका साथ कभी नही छोडता 
और तुम खुशी की तलाश में
मुझको , सिर्फ मुझको पा लेते हो 
अगर फिर तडपते हो, तो मेरा कहां 
कसुर है मै तो बस.... खुशी का हमसाया हुं....................!! 

Comments

  1. एक कविता जो मन को गहरे तक स्पर्श करती है।

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  2. कितने भोले हो, तुम खुशी के फरेब
    को अब तक न समझ पाये ...............

    बहुत सही कहा है ।
    सांसारिक ख़ुशी तो साया मात्र ही होती है ।
    आंतरिक ख़ुशी के लिए मन को काबू में करना पड़ता है ।

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  3. एहसास के सुन्दर स्वर ..

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  4. bahut pyari si rachna...achchha laga aapke blog pe aakar..!!

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  5. बहुत सुन्दर संवेदनशील प्रस्तुति..

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  6. वाह...वाह... बहुत खूब... अच्छी रचना है!

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  7. खुशियाँ हमेशा कम ही लगती हैं और सच ही है गम खुशियों का ही हमसाया होता है

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  8. चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी प्रस्तुति मंगलवार 24 - 05 - 2011
    को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..

    साप्ताहिक काव्य मंच --- चर्चामंच

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  9. mohak,mamsparshi silp .sunder hai .badhayi

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  10. एक मै ही तो हूं जो तुम्हे घेरे रखता हूं
    वरना तो सभी रूसवा हो चले है...bahut gahri abhivyakti

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  11. बहुत खूब... अच्छी रचना है!

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  12. मित्रों चर्चा मंच के, देखो पन्ने खोल |
    आओ धक्का मार के, महंगा है पेट्रोल ||
    --
    बुधवारीय चर्चा मंच

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तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................