Skip to main content
दोस्त क्या है मेरे दोस्त
दोस्ती का फलसफा क्या है
लडते है, झगडते है
फिर एक दूसरे के लिए मरते है
कौन सच्चा है कौन झूठा है 
आजमाने में उम्र गुजारते है.........
दोस्त क्या है मेरे दोस्त
 दोस्ती के मायने क्या होते है
दोस्त बन निकालते है लोग 
दुश्मनी, नफरतों को दोस्ती की 
आड देते है फिर मतलब एक दूसरे से साधते है
सच्चा दोस्त कौन है
कैसे जाने कैसे पहचाने ?
दोस्त क्या है मेरे दोस्त 
दोस्ती का रिश्ता क्या है  
जो न जाने दोस्ती का उसूल
 दोस्तो, दोस्ती के पैमाने भी तय कर लो.........
दोस्ती में धोखा न दो ,नफरत न दो 
एक बार करो दोस्ती तो अन्त तक निभाओ 
है रिश्ता यह पवित्र ,पर इन्सान इन्सान का दोस्त ......................................................................?
यह कौन से जमाने की बात करते हो दोस्तो
दोस्ती में कोई उम्र की सीमा न हो 
कोई  आदमी औरत का भेद न हो
अमीर गरीब की दीवार न हो 
घमंड का नाम न हो,
इन्सान जो हो पहले सच्चा 
वही सच्चा दोस्त भी है...........
दोस्त क्या है मेरे दोस्त
दोस्ती का अन्जाम क्या है
कौन जाने इतना सब
पर दोस्ती के दौर का जमाना है दोस्तो
इसलिए बिना जाने दोस्ती का दम भरते है ..............
.खुशियों की तलाश करते है .....जीते है या मरते है ?

Comments

  1. दोस्तो, दोस्ती के पैमाने भी तय कर लो.........
    दोस्ती में धोखा न दो ,नफरत न दो
    एक बार करो दोस्ती तो अन्त तक निभाओ च्छा सन्देश छुपा हओ रचना मे वक्त के4 साथ शब्दों को तराशान सीख जाओगी। शुभकामना आशीर्वाद्

    ReplyDelete
  2. दोस्ती की परिभाषा उम्र के साथ बदलती रहती है ।

    ReplyDelete
  3. दोस्ती को बताती अच्छी रचना ..

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

तुम ही तो हो !!

************ कहाँ जाऊ तेरी यादों से बचकर हर एक जगह बस तू ही है तेरा प्यार तेरा एकरार, तेरी तकरार हरदम मुझमें समाया है मेरी रूह में बस तेरा ही साया है, हमसफर बन साथ निभाना था बीच राह में ही छोड दिया तन्हा मुझकों दिन ढलते ही तेरी यादें मुझे घेर लेती है तू ही है हर जगह ............. हवायें भी यही कहती है क्यो लिया लबों से मेरा नाम जब मुझसे दूर ही जाना था | फिर हमसे न जीया जायेगा तेरे बिन जिन्दगी का जहर  न पीया जायेगा, मासूम है  यह दिल बहुत... हर लम्हा तूझे ही याद करता जायेगा | ##
लिफाफे में रखे खत का कोई वजुद नही होता ......... अनकही कहानी उधडते रिश्तों की जबान नही होती दर्द सिर्फ सहने के लिए होता है दर्द की कोई हद नही अब फीकी हंसी हंसते है लब खुद को कहां अधेरों में तलाश करते है खेल जो समझे जिन्दगी को उनको रोको जिन्दगी खेल नही लहुलुहान करते है शब्द शब्दों से चोट न करो जो कुछ मौत के करीब है वो कितना खुशनसीब है कोई तो गले लगाने की ख़्वाहिश रखता है जो दे सके सिर्फ खुशी यह जरूरी तो नही गुलाब भी कांटों संग रहता है नही करता कांटो से शिकायत कोई सुखे किताबों में पडे फूलों से क्या महक आती है इतने संगदिल कैसे होते लोग खुदा से डर न कोई खौफ होता है लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता....... इस जहां में किसे अपना कहे अपनों से परायों की बू आती है तडपतें जिनके लिए उनका कुछ पता नही होता सचमुच बंद लिफाफों में रखे खतो का कोई वजुद नही होता...........। ...........

टूटे रिश्तों की खनक........।

खत्म होते रिश्ते को जिन्दा कैसे करू जो रूठा है उसे कैसे मना पाउ कहुं कैसे तू कितना अजीज है सबका दुलारा प्यारा भाई है याद आते वो दिन जब पहली बार तू दूनिया मे आया हम सबने गोद में उठा तूझे प्यार से सहलाया रोते रोते बेदम तूझ नन्हे बच्चे को मां के कपडे पहन मां बन तूझे बहलाया कैसे बचपन भूल गया आज  बडा हो गया कि बहनों का प्यार तौल गया सौदा करता बहनों से अपनी अन्जानी खुशियो का वह खुशियां जो केवल फरेब के सिवा कुछ भी नही जख्मी रिश्ते पर कैसे मरहम लगाउ । आंखे थकती देख राहे तेरी पर नही पसीजता पत्थर सा दिल तेरा बैठा है दरवाजे पर कोई हाथ में लिए राखी का एक थागा, आयेगा भाई तो बाधूगी यह प्यार का बंधन वह जो बंधन से चिढता है रिश्तों को पैसो से तौलता है आया है फिर राखी का त्यौहार फिर लाया है साथ में टूटे रिश्तों की खनक.....................। जान लो यह धागा अनमोल है प्यार का कोई मोल नही इस पवित्र रिश्ते सा दूनिया में रिश्ता नही ................।                .....................